पटना। द न्यूज़। कई स्तरों के प्रयास के बाद भी बिहार विकसित राज्य की श्रेणी में नहीं आ सका। विकास के कई स्तरों पर यह राष्ट्रीय औसत से भी पीछे है और अंतरराष्ट्रीय स्तर की तो बात ही नहीं की जा सकती। सारण सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने लोकसभा में उठाये अपने पूर्व के प्रश्न के संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त लिखित जवाब के बारे में बताते हुए उक्त बातें कही।उन्होंने बताया कि लोक सभा के शीतकालीन सत्र, 2021 के दौरान 14 दिसम्बर को बिहार के पिछड़ेपन का मुद्दा उठाया था जिसपर केंद्र सरकार की ओर से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने लिखित जवाब दिया है। जवाब का हवाला देते हुए सांसद रुडी ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 एवं 2016 में राजधानी पटना सहित नालंदा, भोजपुर, रोहतास, कैमूर, गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, नवादा, वैशाली, शिवहर, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, जमुई, लखीसराय, सुपौल, मुजफ्फरपुर, अरवल, बांका, बेगुसराय, भागलपुर, बक्सर, गोपालगंज, गखड़िया, किशनगंज, मधेपुरा, मुंगेर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सहरसा, सारण, शेखपुरा, सीतामढ़ी और सिवान को पिछड़ा जिला घोषित किया है। ये सभी जिले विकास के मानक पर खरे नहीं उतर रहे। इसमें कहाँ कौन सी गलती रह गई है या विकास का कौन सा तत्व छुट रहा है, इसको रेखांकित करना और उसको दूर करना हम सब की जिम्मेदारी बनती है।भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से दिनांक 18 अप्रैल 2022 को जारी पत्र में कहा गया है कि सांसद ने जो सवाल लोकसभा में उठाया था उसमें से कई विषय केंद्र सरकार के दायरे में नहीं आते बल्कि व राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है। केंद्र सरकार ने बताया कि औद्योगिक प्रगति के लिए केंद्र सरकार गाइडलाइन जारी करती है जिसे अपने राज्य में लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। गाइडलाइन के अनुसार केंद्र सरकार ने याद दिलाया कि उद्योग स्थापित करने वालों को वर्ष 2020 तक आयकर अधिनियम के तहत 15 प्रतिशत अतिरिक्त निवेश भत्ते का प्रावधान किया गया था और कई प्रकार के लाभ अभी भी दिये जा रहे है।विकास की कई योजनाएं शत प्रतिशत केंद्र से संचालित होती है। ऐसी योजनाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने न केवल जारी किया बल्कि संदर्भित राशि भी जारी की, राज्यों को आवंटित भी हुआ, बावजूद इसके उन योजनाओं में भी प्रगति नहीं दिख रही है यह सोचनीय है। इसी तरह राज्य सरकार को भी अपन तरफ से विकास की योजनाएँ लागू करनी पड़ती है। केंद्र सरकार से सहमती प्राप्त ग्रीनफिल्ड एयरपोर्ट परियोजना हो या अन्य केंद्र प्रायोजित योजना, वैसी योजनाएं भी कोई बिहार में नहीं दिख रही है जिसे विकासवादी योजना कहा जाय, यह भी खेद का विषय है।

सांसद रुडी ने कहा कि समाज को जातियों और संप्रदायों में बांटकर विकास का बिगुल नहीं बजाया जा सकता। अब समय आ गया है जब जातिवाद से परहेज किया जाय और प्रगतिवादी सोच के साथ प्रदेश के विकास के लिए काम किया जाय। जातिवादी सोच हमेशा समाज को और राज्य तथा देश को प्रगति से दूर करता है। सामाजिक समरसता के खिलाफ है जातिवाद। इसलिए केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ समान रूप से सभी जाति और संप्रदायों को प्राप्त होता रहा है और उसी संदर्भ में केंद्र ने योजनाएं भी बनाई है। बावजूद इसके जनता को जाति के बंधन में बांधकर वैमनस्यता फैलाने का ही काम किया जा रहा है। यह कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं होता। यह राज्य को जातिगत गणना में उलझाकर विकास से दूर करने की बात है। सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह जातिवाद और संप्रदायवाद से उपर उठकर सबके प्रयास और विश्वास से सबका साथ, सबका विकास करें।