पटना ( द न्यूज़).। चुनावी बेला में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गांधी मैदान में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन चर्चा का विषय बना हुआ है। गनीमत है कि इस सम्मेलन का नाम जदयू कार्यकर्ता सम्मेलन रखा गया था। यदि इसका नाम रैली होता तो जदयू के नेता मुंह दिखाने लायक नहीं होते। तीन महीने पहले से जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन की तैयारी चल रही थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद जल जीवन हरियाली यात्रा कर जनता के बीच गए थे। सभी नेताओं ने सारी ताकत झोंक दी थी पर गांधी मैदान का 10 फीसदी हिस्सा भी भर नहीं पाया। जदयू अरसे बाद अपने बूते सम्मेलन आयोजित किया था। सोच समझकर सम्मेलन की तिथि तय की गई थी। होली के पहले अमूमन लोग खरीदारी के लिए टाउन आते हैं पर जनता मुफ्त में भी शहर नहीं आयी। बताया जा रहा अधिकतम 20-25 हजार जनता सम्मेलन में आई थी। बिहार में 72 हजार से अधिक बूथ है। इस लिहाज से आधे से कम बूथ के लोग भी गांधी मैदान नहीं पहुंच पाए। चारों तरफ इस सम्मेलन की चर्चा है। विपक्ष का कहना है कि गांधी मैदान की आज तौहीनी हुई है। जादू को कार्यालय में सभा करनी चाहिए थी।