बिहार सरकार के मेडिकल बीमा ने पत्रकारों को बनाया बंदर, संपादक से लेकर रिपोर्टर तक चिलचिलाती धूप में बैंक भटक रहे हैं। जय हो सुशासन!

पटना(द न्यूज़)। बिहार सरकार ने एक अदद मेडिकल बीमा क्या दिया उसका पाई पाई वसूलना शुरू कर दिया है। बिस्तर पर पड़े कितने पत्रकार आशा कर रहे थे कि अब उन्हें कार्ड मिल जाएगा और इलाज संभव हो सकेगा पर जब उन्हें पता चला कि कार्ड मिलना तो दूर फॉर्म लौटाए जा रहे हैं। फिर से ड्राफ्ट बनाकर या सुधारकर देना है तो उनके होश उड़ गए। सही में नीतीश सरकार के इस रवैये से संपादक समेत समस्त बीमा कर्मियों को हृदय पर धक्का लगा है।

अब प्रश्न उठता है कि इस समस्या के लिए कौन जिम्मेवार है। पटना जिला को छोड़कर बिहार के सभी जिलों ने समय पर सरकारी प्रक्रिया पूरी कर ली। उन सभी 37 जिलों के पत्रकारों को कोई समस्या नहीं आयी , किंतु पटना जिले के संबंधित पदाधिकारियों की आराम तलबी के कारण पत्रकारों को बंदर बनना पड़ा। यहां जिला संपर्क वाले मुख्यालय को ब्लेम कर रहे हैं तो मुख्यालय वाले जिला को ब्लेम कर रहे हैं। और दोनों के बीच पत्रकार पीस रहे हैं। चूंकि मामला पीआरडी से जुड़ा है तो कोई अखबार एक शब्द लिखने के लिए तैयार नहीं है। पीआरडी वाले विज्ञापन रोक लेंगें। आप पत्रकार लोग जेपी और जेपी की भूमि की दुहाई देते रहिए और बंदर बनते रहिए।

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