पटना ( द न्यूज़)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आरएसएस के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रामलाल की सोमवार को हुई मुलाकात के कई निहितार्थ हैं। ‘राम’ ( राम लाल ) के ज्ञान से भाजपा व जदयू के बीच कई उलझे मार्गों का रास्ता निकल गया है पर अभी कई मामले उलझे पड़े है, जिसका रास्ता संघ ही निकाल सकता है। एनआरसी का मामला बिहार के सनदर्भ में काफी गंभीर है। साथ ही राम मन्दिर पर फैसला आना बाकी है। भाजपा के कुछ नेता को भी संभालना है।
इस तरह संघ को हमेशा शंका की दृष्टि से देखने वाले लोगों के बीच इस मुलाकात से पूरे प्रदेश में नया संदेश गया है।
एक समय सरकार की तरफ से आरएसएस के 19 अनुषंगी संगठनों की जांच कराने का फरमान जारी किया गया था। ऐसे में यदि संघ का कोई वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री से मुलाकात कर रहा है तो यह बदली परिस्थितियों को दर्शा रहा है। नीतीश भी जानते हैं कि लोहा लोहा को काटता है। ऐसे में संघ के नेताओं से नजदीकियां कायम रखना वक्त का तकाजा है। पूरे देश में नमो नमो का शंखनाद कराने में संघ प्रमुख मोहन भागवत की अहम भूमिका है। लिहाजा यदि संघ नीतीश के अनुकूल हो गया तो सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले भाजपा के कुछ नेताओं की भी नकेल कस जाएगी।
सीएम से मुलाकात के बाद संघ के सभी कार्यक्रमों की बिहार में हरी झंडी मिल गयी है। 28 सितंबर से संघ के कार्यकर्ता राजधानी में विजयदशमी उत्सव का आयोजन करने जा रहे हैं। काल से ही संघ के नेताओं का जमवाड़ा पटना में होने जा रहा है। शाखा मैदान में उत्सव मनाया जाएगा। इसी तरह कई कार्यक्रमों की रूपरेखा सीएम के समक्ष रख दी गयी है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल राज्य मंत्री परिषद की बैठक बुलाई है। भाजपा नीत कार्यक्रमों पर मुहर लगाई जा सकती है।