हाल ही में आर्थिक रूप से पिछड़े गरीबों के लिए लागू आरक्षण कानून का विरोध लालू यादव के नेतृत्व वाले राजद समेत उनके सहयोगी दलों को भुगतना पड़ सकता है. बिहार के सभी ४० लोक सभा सीटों पर अमूमन २ लाख से अधिक सवर्ण वोटरों की संख्या है. साथ ही आज के समय में एक वोट से 100 वोट तक हारने वाले नेताओं की संख्या भी बढ़ रही है . ऐसे में सवर्ण मतदाता मायने रखते हैं. राजद का सवर्ण विरोध तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भी सवालिया निशान है.