नई दिल्ली/पटना। द न्यूज़. भारतीय सामाजिक-आर्थिक संरचना, प्राचीन ज्ञान परंपरा और आधुनिक राष्ट्र-निर्माण की बहुआयामी चुनौतियों के बीच संजय कुमार झा, समाजशास्त्री, चार्टर्ड अकाउंटेंट और गरीबी अर्थशास्त्री, अपनी 16 महत्वपूर्ण पुस्तकों के माध्यम से एक अद्वितीय बौद्धिक हस्तक्षेप प्रस्तुत करते हैं। ये सभी पुस्तकें भारत के भविष्य, बिहार के विकास, सहकारिता आंदोलन, वैदिक ज्ञान, आधुनिक न्याय प्रणाली, कृषि, शिक्षा, लोकतंत्र, उद्योग, एनजीओ प्रणाली और आत्मनिर्भर भारत जैसे विषयों पर आधारित हैं। संजय जी की ये कृतियाँ शोध, अनुभव और भारतीय ज्ञान–परंपरा की गहराई का एक समन्वय हैं, जो राष्ट्र–निर्माण की दिशा में नई सोच प्रदान करती हैं।इन पुस्तकों की विशेषता यह है कि प्रत्येक पुस्तक केवल सिद्धांत नहीं बताती, बल्कि समाधान, रोडमैप और क्रियान्वयन की स्पष्ट रणनीति पेश करती है। बिहार विजन 2030, सहकारिता आंदोलन, नई शिक्षा नीति, वैदिक न्याय परंपरा, न्यू एज इकोनॉमी, औद्योगिक निवेश रोडमैप, ऋषियों की खेती और आत्मनिर्भर भारत जैसे विषयों पर लेखक ने गहन शोध, तथ्य, इतिहास और भविष्य की संभावनाओं को मिलाकर एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।

इन पुस्तकों का सार–संदेश एक ही है—ज्ञान से विकास, परंपरा से नवाचार, और समाज से राष्ट्र–निर्माण।
लेखक की प्रमुख पुस्तकों का समग्र भाव
- बिहार का सहकारिता आंदोलन—बिहार के आर्थिक पुनरुत्थान में सहकारिता मॉडल की ऐतिहासिक एवं आधुनिक भूमिका का वैज्ञानिक विश्लेषण।
- वेद–वेदांत व चाणक्य नीति आधारित शासन मॉडल—भारत के लिए वैदिक अर्थव्यवस्था और नीतिशास्त्र पर आधारित आधुनिक पॉलिसी फ्रेमवर्क।
- धर्म से न्याय तक—भारतीय न्याय दर्शन से नई भारतीय न्याय संहिताओं तक का तुलनात्मक अध्ययन।
- ऋषियों की खेती—प्रकृति–आधारित प्राचीन कृषि विज्ञान और आधुनिक तकनीक का अनूठा समन्वय।
- बिहार विजन 2030—दो ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य हेतु व्यावहारिक शोध-आधारित रोडमैप।
- विधायक आचरण–दायित्व मार्गदर्शिका—भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ करने हेतु निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए मानक रूपरेखा।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान—अभियान की उत्पत्ति, उद्देश्य, नीति एवं उसका राष्ट्रीय प्रभाव।
- नई शिक्षा नीति 2020—व्यक्ति निर्माण से विश्वगुरु भारत तक की वैचारिक यात्रा।
- वैदिक से आधुनिक न्याय—न्याय दर्शन, संविधान और आधुनिक न्याय संहिता का सुस्पष्ट वर्णन।
- वित्त-रहित महाविद्यालय—शिक्षा संकट और उसके समाधान की नई दिशा।
- खेती का विज्ञान—भारतीय कृषि परंपरा और वैज्ञानिक तकनीक का भविष्य मॉडल।
- न्यू एज इकोनॉमी—आत्मनिर्भर भारत की दिव्य महापरियोजना का आर्थिक खाका।
- चेंजमेकर 2030—युवा नेतृत्व और भविष्य की वैश्विक परिवर्तनकारी सोच।
- वैदिक पंचायती राज—लोकतंत्र की प्राचीन जड़ें और डिजिटल युग का नया ढांचा।
- एनजीओ जगत का परिचय—समाज सेवा से राष्ट्र निर्माण तक का व्यावहारिक मार्गदर्शन।
- बिहार में औद्योगिक निवेश—रोजगार, उद्योग, कौशल और पलायन रोकने की ठोस रणनीति।
इन पुस्तकों की विशेषताएँ (छोटा रिव्यू)
भाषा सहज, शैली शोधपरक, और दृष्टिकोण राष्ट्र–निर्माण केंद्रित।
प्रत्येक पुस्तक एक स्वतंत्र नीति–दस्तावेज की तरह उपयोगी।
विद्यार्थी, शोधकर्ता, नीति–निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और सरकारी अधिकारियों के लिए अत्यंत उपयोगी।
भारतीय ज्ञान–परंपरा और आधुनिक विज्ञान का उत्कृष्ट संलयन।
बिहार, भारत और वैश्विक विकास–चुनौतियों पर स्पष्ट समाधान प्रदान करती हैं।
प्रिंट मीडिया के पाठकों के लिए विशेष संदेश।
मानसपुत्र संजय कुमार झा की ये सभी पुस्तकें भारत के ज्ञान–विकास, सामाजिक सुधार और आर्थिक राष्ट्रवाद की नई दिशा प्रस्तुत करती हैं। इन पुस्तकों में प्राचीन वैदिक बुद्धि, चाणक्य की नीति, भारतीय न्याय–परंपरा, आधुनिक तकनीक, डिजिटल लोकतंत्र, सहकारिता मॉडल, आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था और भविष्य की शिक्षा नीति का अद्वितीय संगम मिलता है।
ये केवल पुस्तकें नहीं;
भारत के भविष्य का एक विस्तृत, सुविचारित और व्यावहारिक दृष्टिकोण हैं। ये पुस्तकें आने वाले समय में नीति–निर्माण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण संदर्भ बनेंगी।
