सीतामढ़ी। द न्यूज़. मां जानकी की पवित्र जन्मस्थली पुनौरा धाम विवाह पंचमी पर एक बार फिर दिव्य उत्सव की साक्षी बनी, जहां हजारों श्रद्धालुओं ने प्रभु श्रीराम और माता जनकनंदिनी सीता के विवाह प्रसंग को जीवंत होते देखा। मिथिला की संस्कृति और अध्यात्म से जुड़े इस ऐतिहासिक पर्व के अवसर पर मंगलवार को आयोजित मुख्य पूजा में बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. रणबीर नंदन और उनकी पत्नी नम्रता नंदन मुख्य यजमान बने। विवाह पंचमी मिथिला क्षेत्र की आस्था, परंपरा और संस्कृति का अनूठा प्रतीक मानी जाती है, जिसे हर वर्ष अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।मंदिर परिसर को फूलों, रंगोली और पारंपरिक नौतिक सजावट से स्वर्ग जैसे स्वरूप में पूरी तरह सजा दिया गया। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, जिसे श्रीराम और माता सीता का विवाह दिवस माना जाता है, इस वर्ष विशेष रूप से भक्ति, लोक आस्था और भावनाओं के उत्साह से भरपूर रही। नेपाल और प्रदेश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुनौरा धाम पहुंचे, जिसके कारण पूरा जनकपुर क्षेत्र धार्मिक ऊर्जा से स्पंदित नजर आया।प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि पुनौरा धाम में इस दिव्य आयोजन ने साबित कर दिया कि मिथिला की सांस्कृतिक पहचान आज भी उतनी ही जीवंत और प्रभावशाली है जितनी सदियों पहले थी। विवाह पंचमी न केवल धार्मिक उत्सव है बल्कि वह परंपराओं और आस्था की वह लौ है जो पीढ़ियों को जोड़ती है।

उन्होंने कहा कि विवाह पंचमी केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय वैवाहिक संस्कार और आदर्श दांपत्य जीवन का संदेश है। उनके मुताबिक विवाह पंचमी पर व्रत और पूजा करने वाली अविवाहित कन्याओं को योग्य जीवनसाथी प्राप्त होने की मान्यता है, वहीं, विवाहित महिलाओं के वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है। इस अवसर पर महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उपवास रखकर मां जानकी की पूजा-अर्चना की।
विवाह पंचमी को लेकर पूरे मिथिला में उत्सव जैसा माहौल है। श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम और जय जानकी के जयघोष से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। वहीं मंदिर प्रशासन के अनुसार मंगलवार को जानकी मंदिर के महंत श्री कौशल किशोर दास जीकी अगुआई में हजारों श्रद्धालु भक्तों द्वारा भगवान राम की बारात शोभा यात्रा के रूप में निकाली गई। इस दौरान पारंपरिक वाद्ययंत्रों, निशान ध्वजों और सांस्कृतिक झांकी के साथ भक्तों का जुलूस मंदिर परिसर और सीता जन्म कुंड का परिक्रमा करते हुए भ्रमण,जिसमें प्रिय रघुबर और प्रिय सिया किशोरी के विग्रह को गर्भ गृह से निकालकर आम जनों के बीच दर्शन हेतु लाया गया।उसी विग्रहों का लौकिक विधान से मिथिला परंपरा के साथ परिछावन, महाआरती,वैवाहिक पूजन संपन्न कर विवाह पंचमी कार्यक्रम का संपन्न हुआ।