पटना ( द न्यूज़)। नीतीश सरकार बिहार में रियल इस्टेट के विकास के लिए कई नीतियां जमीन पर उतारी हैं पर बिल्डर/ प्रमोटरों की फ्रॉड व धोखाधड़ी के कारण इस सेक्टर में न तो बिहार के निवेशक आकर्षित हो रहे हैं और न ही बिहार की जनता आकर्षित हो रही है। रेरा ( भू संपदा नियामक प्राधिकरण, बिहार) में बिल्डरों के खिलाफ शिकायत का अंबार लगा है।हालांकि कई बिल्डरों ने पारदर्शी नीति से अपनी ईमानदारी की मिसाल भी कायम की है।
बिहार की आम जनता इन बिल्डरों के फ्रॉड से परेशान है। रेरा ने अब तक पूरे बिहार से 700 प्रोजेक्ट की हरी झंडी दी है। इनमे धोखाखड़ी के शिकार 600 लोग हजारों रुपये के शिकायती आवेदन देकर रेरा का चक्कर लगा रहे हैं। रेरा के ऑफिस में शिकायती लोगों का हुजूम लगा रहता है। कोर्ट कचहरी में जिस तरह की भीड़ रहती है वैसी ही भीड़ रेरा के दफ्तर में देखी जाती है। बिल्डरों से लुटे पीटे बिहार के आम आदमी चक्कर काट रहे हैं। एक आदमी बिहार की तरक्की के लिए दिन रात प्रयास कर रहा तो दूसरी तरफ बिल्डर व प्रमोटर बिहार की जनता को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अंग्रेज का शोषण रियल एस्टेट जगत में चल रहा है।
रेरा बिल्डरों/प्रमोटरों को सही रास्ते पर लाने के लिए खूब पसीना बहा रहा है। उन्हें पारदर्शी तरीके अपनाने के लिए वर्कशॉप का आयोजन कर रहा है। लेकिन बिहार की जनता को परेशान करना बिल्डरों व प्रमोटरों की नियति बन गयी है। हाल ही में फ्रॉड से परेशान रेरा ने पांच बिल्डरों/ प्रमोटरों के प्रोजेक्ट बंद करने का एलान किया। उनके खाते भी सील कर दिए। ये हैं, पाटलिग्राम बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड। इनके डायरेक्टर हैं प्रभात कुमार रंजन, निशा रानी। दूसरा है शाइन सिटी इंफ़्रा प्रोजेक्ट, पटना। तीसरा है एसडी कंस्ट्रक्शन। इनके डायरेक्टर हैं, रितेश कुमार सिंह। चौथे हैं, रवि रंजन कंस्ट्रक्शन, एक्सहिबिशन रोड और पांचवें हैं ब्रह्म इंजीनियर एंड डेवलपर ।
शिकायत ऐसी है कि सरकार सुनेगी तो माथा पिट लेगी। पहले बिल्डर या प्रमोटर रिलेशन बनाकर आम लोगों को प्लाटिंग कर जमीन बेचते हैं। ताकि लोग उनपर अपना घर बना सके। इसके लिए बिल्डर बाजाब्ता रजिस्ट्री करते हैं। सड़क देते हैं। अब ध्यान रहे रजिस्ट्री करने के साथ बिल्डर या प्रमोटर जमीन के मालिक नहीं रहते। लेकिन इसके बाद बिल्डरों/ प्रमोटरों का शोषण शुरू ही जाता है। जमीन बेचने के बाद ये बिल्डर प्रलोभन देते हैं कि जमीन के बदले कीमती फ्लैट देंगे। जो लोग दवाब में आ जाते हैं उससे फ्लैट देने के नाम पर जमीन एग्रीमेंट करा लेते हैं। जमीन एग्रीमेंट करते ही जनता बेचारी हो जाती है। अब ये जनता फ्लैट के लिए दौड़ती रहती है। लेकिन शातिर बिल्डर उसे फ्लैट भी नहीं देता। जमीन एग्रीमेंट के साथ पहले ही हांथ से निकल जाती है। इस तरह बिहार की जनता बंधुवा बनकर रह जाती है। जो लोग बिल्डर/प्रमोटर के हाँथ जमीन की एग्रीमेंट नहीं करते। उस पर दवाब डालने के लिए बिल्डर उसका रास्ता बंद करने का तरीका ढूंढते है ताकि वह व्यक्ति अपनी जमीन पर घर नहीं बना सके। हालांकि बिल्डर उसे सड़क देने का लिखित रजिस्ट्री करता है। इस तरह बिल्डरों/ प्रमोटरों द्वारा बिहार की जनता को गुलाम बनाने की चाल हो रही है। रेरा के पास इतनी शिकायत आयी है कि अब बिल्डरों/प्रमोटरों के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी फूटने के करीब है। बिल्डरों के आस पास का गांव भी सुलगने लगा है। हालांकि की रेरा ने साफ कहा है कि जमीन मालिकों या प्लाट खरीदार लोगों से धोखा धरी करने वाले जेल जाने के लिए तैयार रहे। यदि लिखित कमिट कर दिए तो बिल्डर को कमिटमेटमेंट पूरा करना ही होगा। जमीन के साथ रास्ता दिए तो मेंन सड़क तक रास्ता देना ही होगा।
नीतीश सरकार के लिए आने वाले दिनों में बिल्डरों की धोखाधड़ी कानून व्यवस्था कायम रखने की बड़ी चुनौती बन सकती है। ऐम्स व नौबतपुर एनएच के पास कई ऐसे बिल्डर/प्रमोटर आम जनता का शोषण कर अपनी दुकान सजाये हुए हैं। ऐसे सभी बिल्डरों नीतीश सरकार, पुलिस मुख्यालय व रेरा के राडार पर आने वाले हैं। शिकायतों के आधार पर सभी फ्रॉड बिल्डरों की सूची शीघ्र जारी की जाएगी।