ललित नारायण मिश्र कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट ने मनाया अपने संस्थापक डॉ जगन्नाथ मिश्र की धूमधाम से 84 जयंती। जुटे देशभर के विद्वान। नीतीश मिश्र ने कहा, डॉ. मिश्र को राज्य के विभिन्न वर्गों की पीड़ा का एहसास था

पटना/ मुजफ्फरपुर। द न्यूज़। ललित नारायण मिश्र काॅलेज आफ बिजनेस मैनेजमेन्ट, मुजफ्फरपुर की ओर से महाविद्यालय के संस्थापक डाॅ जगन्नाथ मिश्र की 84वीं जयन्ती पर संस्थापक दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री सह झंझारपुरर के विधायक नीतीश मिश्रा, संस्थान के
कुलसचिव डाॅ के एस शेखर, सभी शिक्षकगण एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारीगण ने महाविद्यालय प्रांगण में स्थापित डाॅ जगन्नाथ मिश्र जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रांगण में संस्थान के फैकल्टी आफ मैनेजमेन्ट द्वारा ‘‘चैलेंजेज इन मैनेजमेन्ट एजुकेशन आफ बिहार इनन्यू नाॅर्मल’’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में प्रो॰ (डाॅ॰) नन्द किशोर सिन्हा, कुलपति, हिमालयन गढ़वालविश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड ने सहभाग किया। डाॅ॰ सिन्हा ने देश के भीतर मैनेजमेन्ट एजुकेशन की विकास-ंयात्रा का वर्णन करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में संदर्भित तथ्यों पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि मैनेजमेन्ट एजुकेशन इंटिलेकचुअल प्रापर्टी, सृजनशीलताऔर नवाचार को प्रोत्साहित करती है। नई शिक्षा नीति, 2020 की अनुशंसाओंके आधार पर विद्यार्थियों में पढाई के दौरान प्रैक्टिस सेशन और वैल्यूएजुकेशन द्वारा दी जा सकती है।
उन्होंने इस वैश्विक महामारी के संकट काल में शिक्षक, शिक्षण संस्थानऔर छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि इंटरनेट और साईवर स्पेस हमेंचैथी औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप अनेक वृहत अवसर प्रदान करता है। जिसका उपयोग हमें अपने विशिष्ट दक्षता, यथार्थपूर्ण मुद्दे के समाधान और शैक्षणिक माहौल के परिवर्तन में उपयोग करना है।

संभाषण के अंतिम चरण में बिहार के मैनेजमेन्ट एजुकेशन की चर्चा करते हुए बताया कि राज्य के संस्थानों में दाखिल विद्यार्थियों की संख्या नगण्य है जबकि 21-25 वर्ष के युवा की कुल राष्ट्रीय जनसंख्या का लगभग 8 प्रतिशत बिहार में निवास करता है। इसके कारणों की विवेचना करते हुए उन्होंने कहा कि धीमे औद्योगिक विकास और गुणवत्तापूर्ण संस्थान का राज्य में अभाव है। राज्य सरकार को उसकी उन्नति हेतु पहल करनी चाहिए। सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डाॅ॰ विभवेन्द्र पाठक ने किया।संस्थान के फैकल्टी आफ इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी द्वारा ‘रोल आफ इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी इन कोविड पैंडेंमिक फाॅर रूरल बिहार’’ विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में कुन्दन कुमार लाल, अध्यक्ष, वित्तीय फाउंडेशन एवं डाॅ॰ मनीष कुमार,प्राचार्य, वीवीआईटी, पूर्णिया सम्मिलित हुए डाॅ॰ आई॰बी॰ लाल ने वक्ताओं का स्वागत करते हुए उन्हें अपने आख्यान के लिए आमंत्रित किया। डाॅ॰ मनीष ने महामारी नियंत्रण में तकनीक की जरूरतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आमजीवन में भी तकनीक काउपयोगगतिशीलता और सरलता प्रदान करती है।

आरोग्य सेतु एप एवं कोविन एप काउदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि तकनीक की क्षमता विशाल जनसंख्या को संकटसे उबारने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार भी कर रही है। कुन्दन लाल ने वैश्विक महामारी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व पर प्रकाश डालते हुएकहा कि यह तकनीक महामारी में वैक्सिन विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि ए॰आई॰ गलत सूचनाओं के फैलाव को रोकनेमें भी बहुत सहायक सिद्ध हो रहा है। वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन डाॅ॰ शाहसलामत अली रिजवी ने किया।साथ ही ‘‘अध्यापक शिक्षा के संदर्भ में नई शिक्षा नीति 2020 कीविशेषताएं और चुनौतियाँ’’ विषय पर भी वेबिनार आयोजन किया गया जिसमेंप्रमुख रूप से प्रो॰ मधु कुशवाहा, बीएचयू, वाराणसी, डाॅ॰ रविकान्त,एसोसिएट प्रोफेसर, सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, बोध गया तथा डाॅ॰ अशफाक अंजुम,रिटायर्ड प्रोफेसर, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी की गरिमामयी उपस्थिति रही।प्रो॰ कुशवाहा ने अपने वक्तव्य में क्रियान्वयन कार्यक्रम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा में चुनौतियों का सामना करने के लिए ‘अरली चाईल्डहूड केयर’’ की बात की। उन्होंने राईट टू एजुकेशन,
2009 में रिफाॅर्म करने की सलाह देते हुए त्रिभाषा फार्मूला को अपनाने में कठिनाईयों की चर्चा की। डाॅ॰ अशफाक अंजुम ने शिक्षाजगत के वास्तविकताओं पर प्रकाश डालते हुए शिक्षकों की समस्याएं और समाधान सम्बन्धी सम्यक प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी नीति की सफलता उसके सफल क्रियान्वयन पर निर्भर करती है। डाॅ॰ रविकान्त ने शिक्षा और राजनीति को एक सिक्के के दो पहलू बताया। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा नीतियों की उपेक्षा नहीं बल्कि उनके क्रियान्वयन के लिए कौशलयुक्त होना पड़ेगा। सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डाॅ॰ विनय कुमार ने किया। इस अवसर पर उपस्थित नीतीश मिश्रा ने महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण करते हुए कहा कि डाॅ॰ मिश्र को राज्य के विभिन्न वर्गों की पीड़ा का एहसास था। उन्होंने इस संवेदना से प्रेरित होकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन, दलित शिक्षाछात्रवृत्ति, अन्तरजातीय विवाह हेतु अनुदान जैसी जन सेवा योजना को प्रश्रय दिया। साथ ही शिक्षा, प्रशासन एवं औद्योगिक विकास हेतु उनके नीति निर्णय राज्य के समेकित विकास में आज भी मील के पत्थर समान स्थापित हैं।