त भोजपुरी के दिन फिरी। आरके सिन्हा उठइलन संसद में मांग

आर के सिन्हा ने राज्यसभा में भोजपुरी की लगातार उपेक्षा का मुद्दा उठाया

(मृणाल मयंक/ द न्यूज़)। नई दिल्ली।

भोजपुर की मिट्टी में जन्में और पले बढ़े बीजेपी के राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने अपनी भाषा को सम्मान दिलवाने का मुद्दा एक बार फिर देश की सबसे बड़ी पंचायत राज्यसभा में उठाया | संसद की कार्यवाही के दौरान आरकेसिन्हा ने कल राज्यसभा में भोजपुरी भाषा की उपेक्षा का सवाल उठाया और सरकार का ध्यान इस ओर खींचा |
भोजपुरी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर राज्यसभा में आरके सिन्हा ने कार्यवाही के दौरान कहा कि भोजपुरी लगभग एक हजार साल पुरानी भाषा है और लगभग दो दर्जन देशों में और इस देश के लगभग सभी प्रांतों में 20 करोड़ से ज्यादा लोग इस भाषा को बोलते हैं और इस की संस्कृति और इसके लोकसंगीत से जुड़े हुए हैं |
उन्होंने भाषा वैज्ञानिक प्रोफेसर जी एन देवी की एक रिसर्च के बारे में जिक्र करते हुए कहा , ”भाषा वैज्ञानिक प्रोफेसर जी एन देवी ने एक रिसर्च के बाद ये लिखा है कि भोजपुरी वर्तमान में दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाली भाषा के रूप में उभरी |
इसके अलावा उन्होंने मॉरिशस सरकार द्वारा भोजपुरी के लिए किए गए कामों का भी जिक्र किया | उन्होंने कहा , ”साल 2011 में मॉरिशस सरकार ने भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दी है | साथ ही मॉरिशस के सभी 250 सरकारी स्कूलों में भोजपुरी के पठन पाठन की व्यवस्था की गई है |मॉरिशस सरकार की पहल पर ही भोजपुरी की गीत गवनई को विश्व सांस्कृतिक विरासत का दर्जा UNESCO द्वारा दिया गया है | उन्होंने आगे कहा कि मॉरिशस सरकार के इस प्रस्तावको 160 देशों ने अनुमोदित किया कि भोजपुरी की गीत गवनई को एक विरासत का दर्जा दिया जाए और इन 160 देशों में भारत भी शामिल है |
वहीं उन्होंने ये भी कहा, ”अपने 10 साल के शासन में पिछली यूपीए सरकार ने 5 बार संसद में विभिन्न अवसरों पर भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का आश्वासन दिया था | तत्कालीन गृहमंत्री ने भी संसद के पटल पर यहां तक कहा था हम आप लोगों की भावना को समझ रहे हैं लेकिन इस भावना को अब तक समझा नहीं जा सका है | मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि जिस भोजपुरी को बोलने वाले 50 से ज्यादा सांसद हैं उसे संवैधानिक मान्यता दी जाए |”