पटना(द न्यूज़)। बिहार शरीफ के बारे में अभी तक लोग यही जानते हैं कि नालंदा जिले का यह शहर शिलाव, खाजा के लिए प्रसिद्ध है पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बचपन की बात सुनेंगें तो भावविभोर हो जाएंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि बिहारशरीफ तुर्क, तेली व ताड़ के पेड़ के लिए जाना जाता है। बचपन से ये बातें नीतीश कुमार सुनते आ रहे हैं। तुर्क मतलब मुस्लिम। इनका ठौर भी बिहारशरीफ था। तेली समुदाय की भी अच्छी खासी संख्या बिहार शरीफ में है। साथ ही बिहारशरीफ में एक समय ताड़ का पेड़ बहुत था। इसलिए तुर्क, तेली व ताड़ के पेड़ के लिए बिहारशरीफ जाना जाता था। आज के लोग पुरानी बातों को भूलते जा रहे हैं। बिहारशरीफ/ नालंदा मुख्यमंत्री का गृह जिले है।
आखिर तुर्क , तेली व ताड़ की बात कैसे सामने आई। मुख्यमंत्री कल विधानमंडल सत्र के आखरी दिन अपने कक्ष में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इसी बीच बिजली/ ठनका गिरने से भारी संख्या में प्रदेशवासियों की मौत बातचीत के केंद्र में आया। मुख्यमंत्री भी इस तरह के मौत पर चिंतित हुए। तभी एक पत्रकार ने कहा, गांवों से ताड़ के पेड़ तेजी से समाप्त हो रहे हैं। एक समय गांव की बस्ती से दूर ये ताड़ के पेड़ लंबे होने के कारण बिजली/ ठनका को अपनी ओर खींचकर जनमानस की जिंदगी बचाने का काम करते थे। इन ताड़ के पेड़ों का साइंटिफिक महत्व है। फिलहाल पर्यावरण सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री खुद गंभीर हैं। उन्होंने ताड़ का प्रसंग सुनते ही कहा, बिहारशरीफ में एक समय काफी ताड़ का पेड़ था। मुख्यमंत्री ने कहा बिहारशरीफ की पहचान तुर्क,तेली व ताड़ के लिए थी। तीनों एक समय बिहारशरीफ में बहुतायत थे। नीतीश ने कहा हमने बचपन ये बातें सुनी। बहुत कम लोग बिहारशरीफ के बारे में तुर्क, तेली और ताड़ की बात जानते होंगे।बहुत देर तक ताड़ के पेड़ को लेकर चर्चा होती रही।
ज्ञात हो देश के प्रधानमंत्री तेली जाति से आते हैं। जब बिहारशरीफ का खासियत उन्हें पता चलेगा तो उन्हें भी बिहारशरीफ ही नहीं पूरे बिहार से लगाव हो जाएगा। पीएम भी बिहारशरीफ की पहचान जानकर बिहार के मुरीद हो जाएंगे।
तब जाहिर है इस प्रसंग से नमो-नीतीश की दोस्ती भी प्रगाढ़ होगी।