बिहार कांग्रेस ने भी संकट में चुनाव कराने पर उठाए सवाल

पटना। द न्यूज़। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर मौजूदा हक़त में चुनाव न कराने की सलाह दी है। उन्होंने जहाँ है कि बिहार में कोरोना संक्रमण की स्थिति भयानक होती जा रही है। अबतक पचास हज़ार से उपर लोग कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो चुके हैं। लगभग पांच लाख लोगों का कोरोना जाँच किया गया है और जिसमें कोरोना पॉज़िटिव होनें वालों की संख्या नौ प्रतिशत से भी अधिक है। बिहार की आबादी तेरह करोड़ करीब है, कोरोना जॉंच की प्रक्रिया में अभी गति आना बाक़ी है। एक अनुमान के हिसाब से बिहार में नवम्बर माह तक कोरोना संक्रमितों की संख्या दस लाख के क़रीब होनें की संभावना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी यह मानना है कि अक्तूबर-नवम्बर 2020 में कोरोना अपनें उफान पर होगा। मार्च से लेकर अबतक सैकड़ों लोग बिहार में भी इस बीमारी से काल कवलित हो चुके हैं। कोरोना ने हर वर्ग को प्रभावित किया है। भाजपा सहित अधिकांश राजनीतिक दलों के कार्यालय में ताला जड़ा हुआ है। सर्वाधिक सुरक्षित मुख्य मंत्री आवास, राजभवन, उप मुख्य मंत्री का कार्यालय, पुलिस लाइन आदि हर जगह यह दस्तक दे चुका है। कोई भी सुरक्षित नहीं है। कई विधायक, विधान परिषद सदस्य, अन्य राजनीतिज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी, सिविल सर्जन, चिकित्सक, अन्य स्वास्थ्य कर्मी, शिक्षक आदि भी कोरोना पाजिटिव पाये गये। भागलपुर में तो आयुक्त, ज़िलाधिकारी, उप विकास आयुक्त सब कोरोना पॉज़िटिव निकले, पटना के सिविल सर्जन भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। पुलिस महानिरिक्षक स्तर के अधिकारी, भोजपुर के आरक्षी अधिक्षक सहित कई पुलिस अधिकारी कोरोना से ग्रसित हुए हैं।
चुनाव लोकतंत्र का आधार स्तंभ है, चुनाव के विरोध में हम नहीं हैं, लेकिन जो परिस्थिति बिहार में है उसमें चुनाव कितना निष्पक्ष होगा यह एक महत्वपूर्ण विषय है। अत: कंगरेस पार्टी चुनाव आयोग का ध्यान निम्नांकित बिंदुओं की ओर आकृष्ट कराना चाहेगी :-

१. क्या चुनाव आयोग इस बात से सहमत है कि बिहार की स्थिति अभी चुनाव कराने योग्य है?
२. चुनाव में जनसंपर्क आवश्यक है, क्या चुनाव आयोग इस बात को सुनिश्चित कर पायेगी कि सभी दलों को समान एवं निष्पक्षता के साथ अवसर मिले? सभी उम्मीदवार समान रूप से सुरक्षित हो जनसंपर्क कर पायें इसकी व्यवस्था कैसे होगी?
३. जनता घर से कैसे बाहर निकलेगी, जब की कोरोना का प्रकोप अपनें चरम पर होगा?
४. अगर चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोई मतदाता कोरोना ग्रसित हो जाता है तो उसके लिये कौन ज़िम्मेवार होगा?
५. एक बूथ पर अधिकतम कितनें मतदाता वोट देनें जायेंगे, क्योंकि अगर अभी जो पैमाना है (१०००/ प्रति बूथ) उसे रखनें में तो मात्र बीस प्रतिशत के आसपास ही मतदान हो पायेगा।
६. पैंसठ वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के पास बैलेट पेपर भेजनें की जो बात हो रही है, क्या वह गुप्त एवं निष्पक्ष मतदान को सुनिश्चित कर पायेगा?
७. अगर कोरोना काल में चुनाव होता है तो चुनाव का ख़र्च चार गुणा बढनें की संभावना है, क्या हम तैयार हैं इतना ख़र्च वाहन करनें के लिये? फिर इसका बोझ तो जनता पर ही पड़ेगा।
८. ईवीएम मशीन, चुनाव अधिकारियों की सोशल डिसटेसिंग, मतदान केंद्र एवं वहाँ पहुचनें वालों मतदाताओं के सैनिटाइजेशन की क्या और कैसे व्यवस्था होगी, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है।

  1. चुनाव काल में सभी सरकारी कार्य लगभग थम जाता है, राज्य के सभी ज़िलाधिकारी एवं अन्य अधिकारी चुनाव कार्य में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में इस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई बहुत कमजोर पड़ जानें की उम्मीद है।
  2. एक ओर कोरोना की मार दूसरी ओर बाढ़, ऐसे में चुनाव कराना कया उचित होगा?
    काँग्रेस पार्टी का यह मानना है कि चुनाव जनतंत्र का महापर्व है, इसे तो होना चाहिये पर जनता के जीवन से बहुमूल्य कुछ नहीं है, जनता के जान के क़ीमत पर हमें चुनाव मंज़ूर नहीं है।राजनीति थोड़ी देर रुक सकती है। परिस्थिति सामान्य होने के बाद ही चुनाव कराना उचित होगा।