आखिर मसूद अजहर किसके बल पर आतंक का तांडव मचा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने जब पूरे देश में स्वर्णिम चतर्भुज सड़कों समेत विकास की नई इबारत लिखने लगा तो इसी मसूद अजहर के शातिर दिमाग ने दिल्ली के संसद पर आतंकवादी हमले को अंजाम दिया।
ज्ञात हो यह वही मसूद है जिसे छुड़ाने के लिए वर्ष 1999 में एयर इंडिया का विमान आईसी-814 को हाइजैक कर कंधार ले जाया गया। 154 यात्रियों से भरे इस विमान को सुरक्षित छोड़ने के लिए तालिबानी आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के जेल में बंद खूंखार भेड़िये मसूद अजहर को रिहा करने का सौदा किया। अजहर मसूद छूट गया और उसने जैश-ए-मोहम्मद का गठन कर आतंक का खूनी खेल शुरू कर दिया। सबसे पहले इसने वर्ष 2001 में संसद पर हमले करवाया। इस घटना में उसके गुर्गे अफजल गुरु के फांसी के बाद वह बहुत दिन तक शांत रहा। लेकिन अचानक वह फिर सक्रिय हो गया है। वर्ष 2016 में पठानकोट एयरबस हमले का जिम्मेवार घोषित है। इसके बाद इसने उरी में हमारे 19 निर्दोष को मारा। अब ताजा घटना में जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा घटना को अंजाम दिया है। मरना तो सभी को है पर लेखनी सत्य को उजागर करने में रुकनी नहीं चाहिए। जैश-ए-मोहम्मद के मास्टरमाइंड मसूद अजहर के तार किससे जुड़ा है, इसकी पहचान जरूरी है। साथ ही आस्तीन के सांप को भी खोजना जरूरी है। इसके पूर्व करगिल की घटना ने भी वाजपेयी सरकार को जख्म दिया है। ऐसे में पूरे देश को मिलकर सांप और आस्तीन के सांप दोनों के सिर कुचलने होंगे। लेकिन जल्दबाजी में कदम उठाने से भी बचना चाहिए। सहसा विदधित कार्यम न कुर्येम ।