अब ब्रह्मभोज देकर प्रायश्चित करना चाहते हैं मांझी। मांझी हर पल बदल रहे, केन्द्र का कड़ा रुख

पटना। द न्यूज़। विद्रोही। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो जीतन राम मांझी ने मोदी व योगी के वोट काटने की रणनीति से ब्राह्मणों को तो गाली दे दी पर उनके परिवार व आका नेताओं से उनपर दवाब पड़ने लगा है। सूत्र बताते हैं कि रात में मांझी को नींद नहीं आ रही है। इसलिए अब वह देवता को खुश करने के लिए ब्रह्मभोज देना चाहते हैं। मांझी अब ब्रह्मभोज देकर प्रायश्चित करना चाहते हैं। मांझी ने 27 दिसम्बर को अपने पटना आवास पर ब्रह्मभोज का आयोजन किया है। आशय है ब्राह्मण और दलित एक साथ बैठकर भोजन करे। पार्टी का कहना है कि ब्राह्मण दलित प्रेम के लिए भोज दिया जा रहा है। हालांकि दिग्गज कोई ब्राह्मण जाएगा इसे लेकर संशय है। मांझी ने कई बार नीतीश कुमार को भी परेशान किया है। नीतीश ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था पर सीएम रहते मांझी जी नीतीश का ही गड्ढा खोदने लगे। बाद में नीतीश ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया। लिहाजा ब्रह्मभोज के बाद मांझी फिर किसी अन्य जाति को अपमान कर दे इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

बाद में परिस्थियां कुछ ऐसी बनी कि वह फिर नीतीश खेमे में चले आये। लेकिन फिर अपनी पुरानी हरकत से मांझी नीतीश सरकार को परेशान कर दिए हैं। हाल ही उन्होंने नीतीश की शराबबंदी पर भी सवाल खड़े किये हैं। रात 10 बजे के बाद सेवन की सलाह दी गयी।

बिहार में सोची समझी रणनीति के तहत पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने ब्राह्मण जाति के खिलाफ बयान दिया है। मांझी बिहार में भाजपा व जदयू के सहयोगी हैं और जिस सरकार को यहां नीतीश कुमार खींच रहे हैं उसके पार्टनर भी हैं। यूपी में ब्राह्मण पहले ही वहां की सरकार से खार खाये बैठे हैं वैसे में यहां बिहार में मांझी ने ब्राह्मणों के खिलाफ विषवमन कर भाजपा से ब्राह्मणों को तोड़ने की कोशिश की है। एनडीए में रहकर भाजपा के वोट बैंक पर चोट मारना एक सुनियोजित रणनीति है। इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी भी संदेह के घेरे में है। यह सब आगामी सभी चुनावों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।कुल मिलाकर मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कमजोर करने के लिए ब्राह्मण विरोधी बयान दिया है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले नमो के घेरेबंदी की चाल है। चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर से 370 अनुच्छेद को हटाया। अरसे की गुलामी कश्मीर से खत्म की। मुश्लिम महिलाओं के हित मे तीन तलाके मामले पर कानून बनाया। राममंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। ऐसे में नमो का रास्ता रोकने की भी रणनीति नेपथ्य से शुरू हो गयी है।जीतनराम मांझी के पुत्रवधु ने इस बार छठ किया था। मंत्री बनने के बाद ये वैष्णो देवी के मंदिर गए। खुद मांझी के परिवार में सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है। ऐसे में मांझी के अचानक ब्राह्मण विरोधी गाली के कई मायने हैं। गाली को उत्तरप्रदेश के चुनाव में भेजना है ताकि ब्रह्मण भड़क जाएं और भाजपा को वोट न दें।मांझी की नीयत कुछ भी हो लेकिन बिहार में उन्हें नुकसान ही होगा। वे जहां भी रहेंगे उन्हें 8 फीसदी ब्राह्मण वोट का सीधा नुकसान पहुंच सकता है। मांझी के बयान की सभी दलों ने भर्त्सना की है। मांझी के कंधे का इस्तेमाल किसी और ने किया पर इसका खामियाजा खुद मांझी परिवार को राजनीति में भुगतना पड़ सकता है। ज्ञात हो कि एक समय दबंग नेता अनंत सिंह ने मांझी को मारने की बात कही थी। उस समय जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री थे। अनंत सिंह ने कहा था, ओकरा मारेंगे हम। उस समय मांझी गिर गिराकर राह गए थे। बिहार भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ऐसे लोग सवर्णों को खुलेआम गाली देते हैं और इन्हें जब कोई कुछ कहता है तो ये दलित होने का ढाल बना लेते हैं। उलाहना देते हैं कि दलितों का अपमान किया जा रहा है।