नई दिल्ली/पटना (द न्यूज़)। देश मे तीन तलाक संबंधी कानून लागू करने के बाद अब देश का सबसे विवादित 370 अनुच्छेद पर हांथ रख दिया गया है। संसद की मंजूरी के बाद जम्मू- कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी लागू 370 अनुच्छेद निरस्त हो जाएगा। भाजपा का दर्शन एक देश एक कानून की जीत होगी। साथ ही जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य हो जाएगा। कोई भी व्यक्ति जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदकर बस सकता है।
लेकिन सवाल है कि बिहार में भाजपा के सहयोगी और एनडीए के पार्टनर नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा।
फिलहाल जदयू ने तीन तलाक बिल के तर्ज पर 370 धारा मामले में भी राज्यसभा से वाकआउट कर सांकेतिक विरोध कर दिया है। बिहार में अगले एक वर्ष में चुनाव होना है। ऐसे में नीतीश के अगले कदम पर सबकी निगाहें टिकी है।
ज्ञात हो विपक्ष एकजुट रहता तो तीन तलाक के बिल का राज्यसभा में गिरना तय था, किन्तु कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के दौरान बिल का विरोध किया और जब वोटिंग की बारी आई तो सदन से गुम हो गए। विपक्ष के इस कदम से जहां उनकी एकता में तलाक हो गया वहीं भाजपा का फ्लोर मैनेजमेंट बाजी मार ले गया। संजय सिंह सरीखे नेता जब ऐन वक्त पर पार्टी से इस्तीफा देकर पाला बदल लिए तो कांग्रेस को विलाप करने की सिवा कोई विकल्प नहीं बचता है। अलबत्ता 35ए और 370 हटाने मामले पर भी तीन तलाक का ही ट्रेंड दिखाई देता है।
देखिये, किन विपक्षी नेताओं/पार्टियों ने तीन तलाक बिल पर वोटिंग के दौरान सदन से बाहर रहे।
कांग्रेस- विवेक तंखा, राजीव विश्वाल, मुकुंद मेधी, प्रताप बाजवा व संजय सिंह
राजद- राम जेठमलानी
एनसीपी- शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल
डीएमके-आरएस भारती
वाईएसआर कांग्रेस- 1 ( सांसद)
बीएसपी। 4
टीआरएस 6
सपा 5
टीडीपी- 2
टीएमसी- 1
आईयूएमएल- 1
केरल कांग्रेस- 1
ज्ञात हो कि जदयू और एआईडीएमके राजग की सहयोगी पार्टियां हैं। लेकिन इनके सांसदों ने तीन तलाक बिल के दौरान बहिर्गमन किया। बिल के समर्थन में 99 तथा बिल के विरोध में 84 मत पड़े। 15 मतों के अंतर से बिल सदन से पारित हो गया। भाजपा नेतृत्व की यह जीत है। विपक्ष को फिर मंथन की जरूरत है। विशुद्ध विपक्ष की बात करें तो उसके करीब 30 सांसदों ने एनडीए का साथ दिया है।