पटना में जलजमाव के पुराने दृश्य से नेताओं के फूलने लगे हांथ पांव। इस बार कौन होगा जिम्मेवार

पटना ( द न्यूज़)। राजधानी में जलजमाव का पुराना दृश्य सिर पर मानसून के मंडराने के साथ ही पटनावासियों को डराने लगा है। आलम यह है कि शहर में जलजमाव निजात के नाम पर चारों तरफ गढ़े खोद दिए गए हैं। कई जगह मेनहोल का ढकन हटा हुआ है। ऊपर आसमान से मानसून की पहली बारिश दो दिनों से चेतावनी दे रही है। ऐसे में नेता अधिकारी एक दूसरे पर टोपी पहनने लगे हैं। ज्ञात हो कि पिछले जलजमाव के बाद से ही नीतीश सरकार मैराथन बैठके कर रही है। स्ट्रेटेजी बना रही है। नाले की उड़ाही कर रही है। बड़े बड़े मशीन मंगाए गए हैं। यानी 9 महीने से तैयारी चल रही है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये अधिकारियों से कई बार समीक्षा कर चुके हैं। लेकिन मूल बात है कि जनता रिजल्ट चाहती है। जलजमाव नहीं हुआ तो सरकार पास होगी। नेता पास होंगें। सांसद पास होंगे। विधायक पास होंगें और जलजमाव हुआ तो सारे फेल होंगें। हालांकि कुछ जनता को अभी भी सरकार पर भरोसा नहीं है। पिछले जलजमाव में पीड़ित शारदा सिन्हा आने सभी सामान को पहली मंजिल पर शिफ्ट कर रही हैं। यदि कोरोना का संकट नहीं होता तो ये कंकड़बाग छोड़ दूसरे स्थान पर चली गयी होती। ख़ासकर कंकड़बाग का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक अरुण कुमार सिन्हा जलजमाव को लेकर काफी परेशान है। इसबार यदि जलजमाव भयानक होगा तो विधायक समेत सरकार की पूरी किरकिरी होगी। नगर विकास विभाग के मंत्री सुरेश शर्मा ने अधिकारियों को चेतावनी दी है पर चेतावनी दे देने से अपनी जिम्मेवारी से नहीं बच सकते।