पटना। द न्यूज़। सारण ( छपरा)। की भूमि को पटना जिला में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव पर स्थानीय सांसद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने चिंता जताई है। इस संदर्भ में भविष्य की चिंताओं को लेकर सांसद ने कहा कि सारण के गंगा तट के इलाकों को काटकर पटना जिले में मिलाना पूरी तरह अव्यावहारिक और भौगोलिक रूप से गलत है। पतित पावनी गंगा जैसी सदा नीरा नदी के दोनों छोर पर जब पटना जिले का भूखंड होगा तो जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को भी कानून व्यवस्था लागू करने तथा अन्य प्रशासनिक गतिविधियों को अंजाम देने में व्यावहारिक दिक्कतें आयेगी। सारण जिला के सोनपुर प्रखंड के 3212 एकड़ भूमि को पटना जिला में स्थानांतरित करने की खबरों को समाचार पत्रों के माध्यम से संज्ञान में आते ही स्थानीय सांसद रुडी ने इस प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत कुमार को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।
रुडी ने कहा कि गंगा पर सारण की भूमि को पटना जिला में शामिल करने के बाद स्थानीय नागरिक को अपने जिले से संबंधित किसी भी तरह के कार्य के लिए गंगा पार कर पटना मुख्यालय में जाना होगा जो अव्यावहारिक और दिक्कतों भरा होगा। विदित हो कि जनहित के कार्यों को त्वरित गति से अंजाम देने के लिए सांसद ने अपने क्षेत्र में सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपना कार्यालय खोल रखा है जिसमें सोनपुर में भी कार्यालय है जहां सारण की भूमि को पटना जिला में स्थानांतरित करने प्रक्रिया को सरकार से रोकने का आग्रह स्थानीय नागरिकों ने सांसद से किया है और अपना विरोध दर्ज कराया है। उन लोगों ने सांसद से अपना लिखित आवेदन देकर आग्रह किया है कि वो अपने प्रयास से भविष्य में होने वाली दिक्कतों से मुक्ति दिलाएं।इस प्रस्ताव के संज्ञान में आते ही सांसद रुडी ने स्थानीय अधिकारियों की इस गतिविधि पर विराम लगाने के लिए मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के मंत्री को पत्र लिखा। रुडी ने बताया है कि स्थानीय सांसद होने के बावजूद मुझसे सारण के भूभाग को पटना जिले में शामिल करने से संबंधित निर्णय पर कोई विमर्श नहीं किया गया और न ही स्थानीय विधायक, नगर निकाय या ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों से कोई वार्तालाप की गई और न उनका मंतव्य लिया गया। उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि दीघा-सोनपुर पुल के निर्माण और प्रस्तावित दिघवारा-शेरपुर पुल के कारण कई रियल एस्टेट कंपनियों की नजर अब सारण जिला की जमीन पर है। यदि राज्य सरकार किसी अच्छे काम के लिए ये कदम उठाती है तो हम सब की सहमती है परन्तु इसमें रियल एस्टेट के लोग भी भागीदारी दिखा रहे है जो संदेह पैदा करता है। उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि हो सकता है कि रियल एस्टेट कंपनियों के मालिक सारण की जमीन को राजधानी पटना का हिस्सा दिखाकर अधिक से अधिक दामों में उन जमीनों को बेचकर लाभान्वित होना चाहते है।रुडी ने कहा कि सारण जिला का अपना एक प्राचीन इतिहास है। सारण का क्षेत्र सोनपुर केवल ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि पौराणिक और प्राचीन भारत की सभ्यता-संस्कृति से जुड़ा हुआ क्षेत्र है। इस भूमि की ऐतिहासिकता और पौराणिकता बरकरार रहनी चाहिए। पटना जिले में सोनपुर के क्षेत्र को काटकर शामिल करने से सोनपुर की स्थिति और ऐतिहासिकता पर प्रहार होगा। यह परंपरा से चला आ रहा है कि सोनपुर का क्षेत्र गंगा के उत्तरी हिस्से में है जबकि प्राचीन पाटलीपुत्र और वर्तमान पटना गंगा के दक्षिण भाग में है। गंगा के दोनों तटों पर पटना की भूमि व्यावहारिक रूप से उचित नहीं है और यह प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी ठीक नहीं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 1997 में इसी अव्यावहारिकता के कारण और प्रशासनिक दृष्टिकोण से वाराणसी के गंगा नदी के पूर्वी और दक्षिणी दिशा में स्थित चन्दौली को एक अलग जिला बनाया गया था। उन्होंने कहा कि सोनपुर के प्राचीन इतिहास से छेड-छाड़ उचित नहीं होगा।