क्रिकेट से टी स्टॉल/चायवाली तक का सफर
ये है सना अली का जीवन का संघर्ष
पटना। द न्यूज। ( शचि श्यामली सिंह )। कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। यदि व्यक्ति कुछ तो लोग कहेंगे जैसी बात को नजरअंदाज कर किसी फील्ड में उतर जाए तो उसे कोई सफलता के शिखर पर पहुंचने से रोक नहीं सकता। इसे स्टेट क्रिकेट खेलने वाली सना अली ने साबित कर दिया है। क्रिकेट के मैदान में पहले बल्ला संभाला और अब चाय की केतली संभालती है। काम काम होता है। बिहार के लोग यदि इस बात को समझ जाएं तो इस राज्य को पंजाब होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। फूटपाथ पर एक चाय की दूकान यह कई लोगों के लिए सपना नहीं जो सकता है लेकिन पटना की शिक्षित युक्ति सना दिखा रही है कि वास्तव में क्या मायने रखता है जुनून का पालन करना, न कि पैमाने का।
“क्रिकेटर चाय वाली” सना अली जो कि स्नातक की छात्रा है वह इग्नू से डिस्टेंस एजुकेशन कर रही है और क्रिकेट भी खेलती है सना ने 2013 से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था ,सना स्टेट लेवल पे 2013 में,झारखंड से 2017 में, इसके अलावा अंडर 19 और 23 भी खेला है 2018 में बिहार में जितने भी क्रिकेट फॉर्मेट्स है उन सभी क्रिकेट मैच में सना ने खेला है, वह डोमेस्टिक क्रिकेट 16 अक्टूबर 2016 त्रिवेंद्रम में भी खेल चुकी है। सना कि रोल मॉडल मिताली राज जिनसे वह मिल भी चुकी है और महेंद्र सिंह धोनी है। सना का क्रिकेट के प्रति उनका प्यार आप उनके टी स्टॉल के नाम “क्रिकेटर चाय वाली” और स्टॉल पे लगी तस्वीर से लगा सकते है। वह भागलपुर की मूल निवासी है और पटना में स.के पूरी पार्क के पास भी अपना घर है और वह टी स्टॉल बोरिंग रोड स.के पूरी पार्क के नजदीक फुटपाथ पे लगती है। जो कि सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक चलता है।
पटना का श्रीकृष्णापुरी पार्क। चाय बेचती सना
सना आत्मनिर्भर होना चाहिए थी। उसने अपने माता पिता से कहा मेरा “पॉकेट खर्च कैसे चलेगा” इसलिए मैने बिजनेस करने का सोचा रही हूं मैं टी स्टॉल लगाऊंगी/चलाऊंगी, शुरू में पिता ने बोला “ये काम करना है तूम्हे” फिर बाद में उन्होंने कहा तुम्हें जो पसंद और जिसमें तुम खुश हो वही करो। अपने चाय की दूकान लगाने के विचार के बारे में उसने अपने मां,भाई बहन और दोस्तों से भी बताया, सभी ने सहयोग भी किया। सना के पिता सैफ अली इलाहाबाद में रेलवे कर्मचारी है और उन्हें भी स्पोर्ट पसंद था और खेलते भी थे और स्पोर्ट कोटा के द्वारा रेलवे में नौकरी लगी।सना ने कहा किसी भी कम का पहला कदम इतना आसान नहीं होता, सना चाय बना अपनी मासी की बेटी शिखा और दोस्तो से सीखा । टी स्टॉल ओपनिंग के दिन उनके दोस्तों और भाई बहन ने चाय–कॉफी बनाई । इसके बाद वह धीरे–धीरे खुद बनाने लगी। ग्राहकों से मिली प्रतिक्रिया के बाद सना ने अपने चाय की गुणवत्ता को बदल दिया। उसके बाद सना ने निर्णय लिया कि चाय की गुणवत्ता में कोई और कभी कमी नहीं करेगी । इस दुकान को खुले महज डेढ़ महीने हुए हैं, सुबह दुकान खुलने से लेकर रात के बंद होने तक लोग इसके चाय और कॉफी का टेस्ट लेते रहते। छुटी के दिन रविवार को भी ग्राहक उसे कॉल कर दुकान खोलने को कहते है । जहां एक चाय 10,12,15 रूपये की है तो वहीं कॉफी 30 रुपए ,ग्रीन टी 15, ब्लैक काफी 15 रूपये कुकीज़ 6रुपए और मैगी वेजिटलबे के साथ 40 रुपए की है ऐसे में एक दिन में लगभग 100 कुल्हार चाय और 20–25 कॉफी बिक जाता है। वह रिक्शावाले और गरीब लोगों को 5 रुपए में भी चाय देती है। और दिन के बीच में क्रिकेट प्रेक्टिस भी करती है तब तक उसकी दुकान शिखा (मासी की बेटी) चलाती है। सना बहादुर होने के साथ–साथ निडर भी हैं और इसकी कहानी नव युवकों को प्रेरणा देती है।