जेटली ने ही नीतीश को एनडीए से जोड़ा! जेटली नहीं होते तो मौजूदा एनडीए सरकार भी नहीं होती

पटना ( द न्यूज़)। मौजूदा नीतीश सरकार को गढ़ने में स्व. अरुण जटेली की मुख्य भूमिका रही है। आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्व. जेटली की श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। उनकी याद में उन्होंने बिहार में जेटली की प्रतिमा लगाने के साथ हर वर्ष उनका जन्मदिवस राजकीय समारोह से मनाने की घोषणा की है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का भी कहना है कि मौजूदा गठबंधन सरकार बनाने में स्व. जेटली की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

वाकई में जेटली ने नीतीश को एनडीए टू में जोड़ा है। पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी ने नीतीश को एनडीए के साथ जोड़ा था।

दूसरी बार नीतीश को एनडीए के साथ लाना काफी मुश्किल था। बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। वर्ष 2015 में बिहार में भाजपा को हराकर नीतीश की अगुवाई में महागठबंधन की सरकार बनी थी। पहली बार राजद की तरफ से तेजप्रताप और तेजस्वी का सत्ता सुख का राजतिलक हुआ था। सरकार अच्छी खासी चल रही थी। लालू यादव भी हुंकार भर रहे थे। किंतु इसी बीच राजद नेताओं के मिट्टी व मॉल घोटाले का पर्दाफाश सुशील मोदी ने कर दिया। महागठबंधन सरकार के अंदर के मंत्रियों द्वारा घोटाले से नीतीश कुमार विचलित हो रहे थे। मामला जीरो टॉलरेंस का था। एक पर एक घोटाले की दस्तक तात्कालिक वित्तमंत्री अरुण जेटली के पास गयी। सूत्र बताते हैं कि पूरे मामले में इनकम टैक्स व ईडी की जांच कराने में जेटली ने मुख्य भूमिका निभाई। भ्रस्टाचार के मामले में तेजस्वी यादव के फंसने के बाद उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कह दिया कि तेजस्वी पूरे प्रकरण पर बिंदुवार जवाब दें। लेकिन तेजस्वी के सलाहकारों ने उल्टे नीतीश को घेरना शुरू कर दिया। तेजस्वी ने बिंदुवार जवाब नहीं दिया और 27 जुलाई 2016 को नीतीश ने महागठबंधन को अलविदा कह दिया। इसके बाद बिहार में जो नीतीश की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी उसका परिणय संस्कार स्व. अरुण जेटली ने ही किया था। एक तरह से मौजूद सरकार की

की नींव सुशील मोदी ने तैयार कर दी और

और आलीशान एनडीए सरकार को जेटली

ने जोड़ दिया।
बिहार में गठबंधन की सरकार बनवाने में
स्व. अरूण जेटली को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में गठबंधन की सरकार बनवाने और चलवाने में उनकी महत्वपूर्ण भमिका थी। जिस तरह से सरदार पटेल ने देशी रियासतों का विलय करा कर राष्ट्र का एकीकरण किया वैसे ही जीएसटी लागू कर अरुण जेटली ने आर्थिक एकीकरण किया। अगर जेटली नहीं होते तो ‘एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजार’ की अवधारणा पर आधारित कर सुधार की प्रणाली जीएसटी को लागू करना असंभव था।

श्री मोदी ने कहा कि श्री जेटली एक बेहतरीन चुनाव प्रबंधक व कुशल रणनीतिकार थे। प्रखर वक्ता और कठिन समय में पार्टी के संकट मोचक थे। कठोर राष्ट्रवादी होने के साथ ही उनके विचारों में उदारता थी जिसके कारण वे सभी के लिए स्वीकार्य और सहमति निर्माता थे। सैद्धांतिक मुद्दों पर पार्टी के मार्गदर्शक थे। ख्यात वकील होने के साथ ही क्रिकेट में भी उन्हें महारथ हासिल थी।

1989 में श्री जेटली को एडिशनल साॅलिसिस्टर जेनरल बनाया गया था। स्वीट्जरलैंड तक जाकर उन्होंने बर्फोस का मुकदमा लड़ा। तीक्ष्ण स्मरण शक्ति के कारण श्री जेटली 20 साल पुरानी बातों को भी नए संदर्भों में प्रस्तुत करने में सक्षम थे। दिल्ली के सबसे बड़े आयकर दाता श्री जेटली खाने के शौकीन थे। व्यक्तिगत संबंधों को निभाने वाले जेटली के पास नौकरशाह, राजनेता, उद्योगपति, पत्रकार आदि के बारे में काफी जानकारी रहती थी।

1974 में जेपी की अगुवाई में गठित राष्ट्रीय छात्र संघर्ष समिति के संयोजक अरुण जेटली को बनाया गया था। 1973 में वे दिल्ली विवि छात्र संघ के उपाध्यक्ष और 1974 में अध्यक्ष चुने गए थे। 7-8 जनवरी, 1974 को दिल्ली में आयोजित आॅल इंडिया स्टुडेंट कान्फ्रेंस में उनसे मिल कर पटना में आयोजित छात्र एकता सम्मेलन में आने का आग्रह किया गया था जिसमें छात्र संघर्ष समिति गठित की गई थी।

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