पटना। द न्यूज़। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में नव गठित यूडीए की टीम ने आज बिहार में आई बाढ़ की समस्या व बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए राजभवन को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने बाढ़ को तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग उठाई है। यशवंत सिन्हा ने पत्रकारों से बातचीत में उलाहना दिया कि राज्यपाल ने इतने गंभीर मसला पर उनसे मुलाकात करना मुनासिब नहीं समझा।

श्री सिन्हा ने कहा कि इस वर्ष विशेष रूप से उत्तर बिहार बाढ़ की भयंकर विभीषिका झेल रहा है | भौगोलिक स्तर पर देखें तो राज्य के 17 जिलों के 250 से ज्यादा प्रखंडों के 75 लाख लोग इस आपदा से प्रभावित हैं | इन पीड़ित भाइयों-बहनों के कष्ट को देखने, सुनने व समझने के लिए गत दिनों 3, 4 तथा 5 अगस्त 2020 को भारत के पूर्व वित्त और विदेश मंत्री श्री यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में एक दल ने “United Democratic Alliance (UDA)” के बैनर तले उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों – मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, पूर्णिया ज़िले के अनेक प्रखंडो तथा गावों का दौरा किया | इस दल में मुख्य रूप से भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री देवेंद्र प्रसाद यादव, राष्ट्रीय अध्यक्ष-समाजवादी जनता दल (डी), पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री नागमणि, डॉ सत्यानंद शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष – LJP(सेक्युलर), मो. अशफ़ाक़ रहमान, राष्ट्रीय संयोजक – जनता दल (राष्ट्रवादी), डॉ अरुण कुमार, पूर्व सांसद, राष्ट्रीय अध्यक्ष- भारतीय सबलोक पार्टी, रेणु कुशवाहा, पूर्व-मंत्री बिहार, विष्णु पासवान, श्री राजीव भृगुकुमार, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता, श्री संजीव सिंह, अध्यक्ष- भारतीय संपूर्ण क्रांतिकारी पार्टी, मो. नौशाद खान, बिहार प्रदेश अध्यक्ष, जनता पार्टी, श्री अशोक कुमार, महासचिव-वंचित समाज पार्टी, श्री अशोक झा, अध्यक्ष-गरीब जनशक्ति पार्टी सम्मिलित थे |

बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में चारों तरफ़ पानी ही पानी नज़र आ रहा था, हर तरफ़ निराशा का भाव देखने को मिला॰ ज़मीनी स्तर पर सरकारी सहायता का नितांत अभाव दिखा |
इस दौरे में सब कुछ देखने, सुनने, समझने के बाद हमारा सुझाव निम्नलिखित है:
- महामहिम राज्यपाल महोदय से आग्रह है कि अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए तत्काल स्वयं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर जायजा लेने का कष्ट करें और अपनी आंखों से देखें कि बाढ़ प्रभावित अभी भी किस परिस्थिति में जीने को मजबूर है|
- पुराने तटबंधों को और मजबूत किया जाए, तटबंधों में जो लगे हुये कटाव हैं जिससे जानमाल पर अचानक ही भीषण खतरा उत्पन्न हो जाता है ऐसे जितने भी संवेदनशील व खतरे वाले स्थान हैं उन्हें तत्काल विशेष ध्यान देते हुए ठीक कराया जाए ताकि आने वाले दिनों में वे फिर ना टूटे और बाढ़ का पानी लोगों को विस्थापित ना करें | पिछले 5 वर्षों में तटबंधों तथा बाँधों की सुरक्षा में जो भी राशि खर्च हुयी है, उसमें भारी भ्रष्टाचार हुवा है, अतः हमारी माँग है कि इसकी जाँच CBI से करायी जाय |
- बाढ़ पीड़ित लोग जो तटबंधों पर, सड़कों पर तथा राष्ट्रीय राजमार्गों पर अमानवीय परिस्थिति में रहने को विवश है उनको तत्काल सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाए | उनके सर के ऊपर पक्का छत उपलब्ध कराया जाय जिसके लिए ऊंचे स्थानों पर अवस्थित स्कूल, कॉलेज, सामुदायिक, पंचायत की भवनों का उपयोग किया जा सकता है | उनके भोजन का, उनकी चिकित्सा का समुचित प्रबंध हो एवं बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाए | मवेशियों के लिए चारे का प्रबंध हो और चिकित्सा की भी व्यवस्था हो |
- बाढ़ प्रभावित सारे लोगों को तत्काल ₹6000 का मुआवजा उपलब्ध कराया जाए |
- बाढ़ के तुरंत बाद कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ेगा उसके लिए अभी से समुचित प्रबंध की आवश्यकता है |
- बाढ़ से हुए नुकसान जिसमें जान, माल-पशु आदि का नुकसान शामिल है उसके लिए शीघ्र आकलन कर हर परिवार को उचित मुआवजा देने का इंतजाम करना चाहिए |
- राज्य सरकार को भारत सरकार से आग्रह करना चाहिए कि बाढ़ से हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए भारत सरकार की टीम तत्काल बिहार आए | इस त्रासदी को तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाय। तदनुसार उसी के अनुरूप भारत सरकार समुचित राशि बिहार सरकार को उपलब्ध कराएं |
हमें इस बात का खेद है कि इस ज्ञापन को सौपने की लिए राज्यपाल महोदय ने हमें समय नहीं दिया और उनका यह आदेश मिला कि इसको उनके कार्यालय को सौंप दिया जाय | यह दुःख की बात है कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी इस प्रतिनिधिमंडल से मिलने से उन्होंने इंकार कर दिया |