बिहार के पत्रकार सबसे फटेहाल

पटना। द न्यूज़। बिहार के पत्रकारों को सरकारी फायदे के नाम पर सबसे अधिक ठगी है। सभी राज्यों में मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए आवास, जमीन, पेंशन, चिकित्सा सुविधा व प्रेस क्लब की सुविधा है पर बिहार में ये सुविधा ऊंट के मुंह मे जीरा समान है। आवास व जमीन की तो बात ही छोड़ दीजिए। जो पेंशन की व्यवस्था है वह इतना जटिल है कि मिलना ही मुश्किल है। बिहार में सबसे कम 6 हजार पेंशन दी जा रही है जबकि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने 15 हजार पेंशन कर दिया है। बिहार में चिकित्सा बीमा तो है पर कैंसर, आंख व दांत रोगी के लिए यह सुविधा नहीं है।ध्यान रहे राजस्थान के पत्रकारों को एक अप्रेल से 15 हजार रुपए महीने सम्मान राशि लागू हो गहि है। इस संबंध में सूचना एवं जन संपर्क विभाग ने पिछले शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी। पहले यह राशि दस हजार रुपए प्रतिमाह दी जाती थी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा इसे बढ़ाकर 15 हजार महीने करने की घोषणा की थी।अधिसूचना के अनुसार ऐसे पूर्णकालिक अधिस्वीकृत पत्रकार जो किसी दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक समाचार पत्र, स्वतंत्र पत्रकार, इलेक्ट्रोनिक मीडिया, एवं समाचार एजेंसी में कम से कम 20 वर्षों तक सवैतनिक काम करते रहे हो और उनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो, को यह सम्मान राशि दी जाएगी। यह सम्मान राशि संपादक, प्रकाशक और मालिक को भी दी जाएगी। मोदी सरकार को शिखर पर पहुंचाने में मीडिया का बड़ा हांथ है पर पत्रकार समुदाय सबसे ठगा महसूस कर रहा है। ममता बनर्जी ने रेल मंत्री रहते रेलवे में पत्रकारों को 50 फीसदी रियायत दी पर वह भी खत्म हो चला है। सभी स्पेशल ट्रेन चल रही है और पत्रकार इनमें सुविधा नहीं ले सकते। पटना में एक प्रेस क्लब मिला था पर वह भी राजनीति का शिकार हो गया। एक एक हजार कहाँ गए कोई बताने वाक नहीं है। यहांपत्रकार खुद शोषण के शिकार हैं।