खामोश करने वाले खुद हो गए ‘खामोश’ । ‘जली को आग कहते हैं। बुझी को राख कहते हैं। जो टिकट के लिए दर दर  जेल भटके उसे ‘खामोश’ कहते हैं।

भाजपा में बुलंदियों पर रहकर हर भाषण में विरोधियों को ‘खामोश’ करने वाले बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा खुद खामोश हो गए हैं।टिकट की चाह में कभी कांग्रेस दरवाजे तो कभी राजद दरवाजे दर दर भटक रहे हैं। रांची के होटवार जेल में लालू के पास हाजरी लगा चुके हैं पर अबतक जोर से नहीं बोल पाए कि टिकट किस पार्टी की मिलेगी। लगता है अब टिकट मिलने के बाद ही गर्जना करेंगें। जब भाजपा में थे तो टन टन आवाज निकालते थे । जली को आग कहते हैं। बुझी को राख कहते हैं। जो टिकट के लिए दर दर जेल में भटके उसे ‘खामोश’ कहते हैं!

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