पटना/ लखनऊ ( द न्यूज़)। तो भाजपा यूपी चुनाव में बिहार के तर्ज पर सपा को ‘जंगलराज’ के जाल में फंसा देगी!। सपा नेता अखिलेश यादव के बढ़ते आकर्षण को भोथर करने के लिए भाजपा ने यूपी में बिहार का दांव चल दिया है। इसी दाव पर भाजपा पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के तेज को खत्म कर सत्ता पर फिर से काबिज हो गयी थी। भाजपा ने राजद के पिछले 15 वर्षों के ‘जंगलराज’ का भय जनता को दिखाया। अपराध, अपहरण व हिंसा के आंकड़े परोसे। भाजपा के हर बड़े नेता ने जंगलराज का ऐसा जाल बिछाया कि राजद की सारी रणनीति उस जाल में फंस गयी।
यूपी में भी भाजपा बिहार में बुने जाल में अखिलेश को पूरी तरह फंसाने की कोशिश कर रही है।
अब देखना है कि अखिलेश भाजपा के जाल को कैसे काटते है। शह और मात का खेल जारी है। अखिलेश की दो रणनीति भाजपा के सारे दांव पर भारी पड़ गए थे जिसके कारण भाजपा ने अखिलेश को घेरने के लिए सपा शासन की खराब कानून व्यवस्था को प्रचारित करने शुरू किया। याद हो अखिलेश ने कहा है कि उनकी सरकार बनी तो पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। साथ ही उन्होंने भाजपा से नाराज चल रहे ब्राह्मणों को खुश करने के लिए परशुराम मंदिर व परशुराम जयंती पर फिर से अवकाश घोषित करने का एलान किया है। अखिलेश के ये दोनों वादे भाजपा पर भारी पड़े। लिहाज भाजपा ने रणनीति के तहत सपा के पुराने शासन का भय दिखाना शुरू किया। यह रणनीति जनता में भ्रम डाल कर भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण कर रही है। अब देखना है कि भाजपा का बिहार फार्मूला यूपी में कारगर होता है या नही। कांग्रेस और मायावती फैक्टर पर बात करें तो दोनों ही फैक्टर भाजपा और सपा के बाद ही दिख रहे हैं। शुरुआत में यानी चुनाव अधिसूचना जारी होने से दो तीन महीना पहले कांग्रेस ने काफी जोर लगाया था। जनता का झुकाव भी दिखा पर चुनाव नजदीक आते आते भाजपा व सपा के चुनाव प्रचार तंत्र में कांग्रेस दब सी गयी। यही हाल बसपा का है।