घायल लोजपा के पीछे चिराग के सगे संबंधी व जदयू पर ठिकरा फोड़ रहे सौरव पर

पटना। द न्यूज़। लोजपा की टूट कहानी के पीछे कौन है। बदहाल व इसे घायल करने के लिए कौन जिम्मेवार है इसे पूरा देश जान गया है पर चिराग के पीठ में छुरा मारने वाले अपना दोष छिपाने के लिए चिराग के मित्र सौरव पांडेय पर ठिकरा फोड़ रहे हैं। क्या चिराग नौसिखिए हैं कि सौरव पांडेय की बातें मान लेंगे। क्या चिराग में अपनी सोच नहीं है। क्या चिराग ने खुद बिहार विधानसभा चुनाव एनडीए से अलग होकर लड़ने का निर्णय नहीं किया था। चिराग ने तो अपने पिता स्व. रामविलास पासवान के रहते राजनीति शुरु कर दी थी। तो क्या रामविलास से अधिक धाक सौरव का हो गया था। क्या सौरव के कहने पर चिराग जमुई से चुनाव जीते ? वास्तविकता है कि चिराग में इतनी क्षमता है कि वह खुद निर्णय ले सके। चिराग सारे निर्णय खुद लेते हैं। चूंकि चिराग के चाचा जानते है कि सीधे भतीजा पर दोष गढ़ेंगे तो परिवार आहत होगा इसलिए सारा ठिकरा सौरभ पर फोड़ दिया जाए।  समाज में खुद कुरीतियां फैलाने वाले लोग जिस तरह ब्राह्मण पर ठिकरा फोड़ देते हैं उसी तरह चिराग के पीठ में छुरा भोंककर सौरव पर निशाना साधा जा रहा है।

चिराग के करीबी का कहना है कि स्वर्गीय राम विलास पासवान के सलाह पर पारस के जगह प्रिंस को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। चिराग के करीबी नेता का कहना है कि नीतीश कुमार से कभी पार्टी का सरोकार नहीं रहा है। आज जो लोग पीठ पर ख़ंजर घोप रहे है वह नीतीश कुमार जी के इशारे पर काम करते है। सौरभ पांडेय ने कभी नीतीश जी के पक्ष में बात नहीं की जिसके कारण आज यह सभी निष्काषित सांसद नीतीश के कहने पर सौरभ पांडेय जी का विरोध करते हैं।यह सभी चाहते थे की चिराग नीतीश से हाथ मिला लें। पशुपाती पारस को बिहार से ज़्यादा नीतीश कुमार की चिंता थी जिसके कारण चुनाव में भी वह उनके प्रचार में लगे हुए थे।पैसे के दम पर और सत्ता का लालच दिखा कर नीतीश कुमार की तरफ से यह करवाया है।अपने मंत्री बनने के लालच में चाचा ने सब खेल अपने ‘ईश’ के इशारे पर किया।नीतीश के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने का फ़ैसला पार्टी के 135 प्रत्याशी स्वीकार किया था।चुनाव बाद से चिराग़ पासवान और सौरभ पांडेय को नीतीश द्वारा टार्गेट करवाया जाता रहा है। क्योंकि चुनाव में पार्टी में नीतीश को हाशिए पर ले आया था। जो नीतीश भक्त है वह बिहार के विकास के दुश्मन है। ज्ञात हो कि रामविलास पासवान सौरव को अपने बेटा की तरह मानते थे। इस संदर्भ में उन्होंने एक पत्र भी लिखा था। खुद चिराग और उनके बाल सखा सौरव पांडेय में भरोसे की मित्रता है जिसे बिचौलिये ने तोड़ने की काफी कोशिश की पर चिराग टस से मस नहीं हुए।