पारस क्या खींच पाएंगे कंधे की जिम्मेवारी! क्या बनेंगे केंद्र में मंत्री! भाजपा पर जदयू का जबरदस्त दबाव

पटना । द न्यूज़। घोषित अध्यक्ष बनने के बाद पशुपति कुमार पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया पर आत्म विश्वास की कमी दिखी। पत्रकारों के प्रश्न पर भड़क भी गए। यानी प्रथमे ग्रासे मक्षिका पातं। यदि केंद्र में मंत्री बने तो कार्यकर्ता को खींच पाएंगे। सुरक्षा कर्मी के साथ उनका ओहदा बढ़ेगा। क्षेत्र में दबदबा बढ़ेगा। लेकिन मंत्री नहीं बने तो कार्यकर्ता व जनता दोनों की नजर से गिरेंगे। चिराग पासवान की तरफ से कहना है कि पार्टी का नेतृत्व मिलने पर पारस ने लुटिया डुबो डाली। वर्ष 2009 , 2010 , 2015 , में पशुपती कुमार पारस प्रदेश अध्यक्ष थे और पार्टी को धराशाही कर दिया। पार्टी को 2009 loksabha में 0 सीट मिली। साथ ही2010 में गठबंधन में लड़ कर मात्र 3 सीटें मिलीं।2015 में गठबंधन में लड़ कर मात्र 2 सीटें मिली।इन सभी चुनाव में पशुपति पारस जी अध्यक्ष थे। चिराग के करीबी का कहना है कि 2014 जिसका क्रेडिट पशुपति पारस ले रहे है उनके यह याद दिलवा दें की पार्टी 2014 और 2019 में 6 सांसद जीते तो वह गठबंधन भी चिराग पासवान ने करवाया था।2020 में पार्टी अकेले चुनाव लड़ी और 25 लाख वोट प्राप्त किया। पार्टी का विस्तार हुआ। चिराग पासवान के नाम पर 6 पर्सेंट वोट मिले।देश की राजनीति में चिराग पासवान जी का नाम बड़ा बना।

स्वर्गीय राम विलास पासवान जी के सलाह पर पारस जी के जगह प्रिंस जी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। चिराग के करीबी नेता का कहना है कि नीतीश कुमार जी से कभी पार्टी का सरोकार नहीं रहा है। आज जो लोग पीठ पर ख़ंजर घोप रहे है वह नीतीश कुमार जी के इशारे पर काम करते है। सौरभ पांडेय ने कभी नीतीश जी के पक्ष में बात नहीं की जिसके कारण आज यह सभी निष्कशित सांसद नीतीश के कहने पर सौरभ पांडेय जी का विरोध करते हैं।यह सभी चाहते थे की चिराग नीतीश से हाथ मिला लें। पशुपाती पारस जी को बिहार से ज़्यादा नीतीश कुमार जी की चिंता थी जिसके कारण चुनाव में भी वह उनके प्रचार में लगे हुए थे।पैसे के दम पर और सत्ता का लालच दिखा कर नीतीश कुमार ने यह करवाया है।अपने मंत्री बनने के लालच में चाचा ने सब खेल नीतीश के इशारे पर किया।नीतीश के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने का फ़ैसला पार्टी के 135 प्रत्याशी स्वीकार किया था।चुनाव बाद से चिराग़ पासवान और सौरभ पांडेय को नीतीश द्वारा टार्गेट करवाया जाता रहा है। क्यों की चुनाव में पार्टी में नीतीश को हाशिए पर ले आया था।बिहार को बर्बाद करने में नीतीश कुमार का हाथ है।जो नीतीश भक्त है वह बिहार के विकास के दुश्मन है।