पटना। द न्यूज़। बिहार में कोरोना को लेकर सरकार की सुविधाएं हवा हवाई दिख रही है। तमाम सुविधाएं रसूखदार लोगों के लिए भले ही किये गए हो पर आम आदमी अपनी इलाज के लिए इस अस्पताल से उस अस्पताल भटक रहा है। सरकार की सुविधाएं कागजी साबित हो रही है। राजधानी पटना ने सरकार जरूरतमंद व्यक्तियों की कोरोना जांच नही कर पा रही है और उसने अनुमंडल तक कोरोना जांच करने का दावा कर दिया। लो, एक सप्ताह में सरकार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक जांच उपलब्ध कराने की बात करने लगी है। लेकिन सरकार के दावे हकीकत से अलग है। विश्वास नही हो तो एक दिन में कोई आम व्यक्ति अपना जांच करा लें। युद्ध जितने जैसा काम है बिना सिफारिश के कोरोना जांच कराना। यदि कोई अचानक सीरियस हो जाये तो नाक रगड़ने के बावजूद किसी अस्पताल में भर्ती होना मुश्किल है।
आज सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि बिना लक्षण वाले कोविड पॉजिटिव व्यक्तियों को होम आइसोलेशन में रखने की सुविधा प्रदान की जाती है लेकिन जिन कोविड पॉजिटिव व्यक्तियों के घर में परिवार के अन्य सदस्यों से स्वयं को पृथक रखने की सुविधा नहीं है, उन्हें डिस्ट्रिक्ट कोविड केयर सेंटर में रखा जा रहा है। होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों का मेडिकल टीम के द्वारा मॉनिटरिंग की जाती है और यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या आती है तो उन्हें इलाज के लिए मेडिकल संस्थान में एडमिट कराया जाता है। उन्होंने बताया कि अब एक नयी व्यवस्था शुरू की गयी है। ए0एन0एम0सी0एच0 गया, जे0एल0एन0एम0सी0एच भागलपुर एवं एन0एम0सी0एच0, पटना पहले से ही डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल घोषित हैं। इसके अलावा अन्य छह मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में भी एक अलग ब्लॉक चिन्हित करके उसमें ऑक्सीजन के साथ 100 बेड्स की व्यवस्था की गयी है और इन अस्पतालों से जिलों को जोड़ दिया गया है कि किस जिले का मरीज किस अस्पताल में अपना इलाज करा सकेंगे। इससे रेफरल की व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी और प्रबंधकीय समस्या भी नहीं होगी। सरकार द्वारा सभी मेडिकल कॉलेजों के अनुश्रवण की जिम्मेदारी प्रमंडलीय आयुक्त को सौपी गयी है। इसके अतिरिक्त पदाधिकारियों एवं चिकित्सकों का दल बनाया गया है जो अस्पताल में कोविड-19 के चल रहे इलाज का अनुश्रवण करेंगे। सभी जगह के लिए नियंत्रण कक्ष बनाकर कर्मियों की नियुक्ति की गयी है ताकि लोग अपनी समस्या से नियंत्रण कक्ष को अवगत करा सकें। उन्होंने बताया कि अब जो माइल्ड और मोडरेट केसेज होंगे, जिनको ऑक्सीजन सपोर्ट की भी जरूरत पड़ेगी उनका इलाज अब अनुमंडलीय अस्पताल में किया जाएगा ताकि मेडिकल कॉलेज पर दबाव कम हो सके। बेड्स की संख्या बढ़ाने को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे हंै।