आखिर नीतीश कुमार की भद्द पिटवाने पर क्यों तुले हैं अधिकारी

पटना ( द न्यूज़)। कोरोना तो बिहार में कहर बरपाना शुरू कर दिया है, लेकिन इस बीच नेता, ब्यूरोक्रेट या राजनीतिक दल खेल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर कल सुबह डॉक्टरों की तैनाती के लिए आदेश निकाल दिया गया। सीनियर नर्सों की ड्यूटी चार्ट बना दी गयी। वेंटिलेटर सजाने के आदेश दे दिया गया। दिनभर खबर चली। सीएम आवास में कोरोना की एंट्री हो गयी। कल शाम तक यह खबर सभी चैनेलों व साइट पर छाई रही और देर शाम सीएम आवास पर डॉक्टरों की तैनाती संबंधी आदेश को पीएमसीएच ने वापस ले लिया यानी निरस्त कर दिया।

पीएमसीएच का आदेश जो निरस्त कर दिया गया

इस पूरे प्रसंग में सीएम और ब्यूरोक्रेट की भद्द पीटी है। विपक्ष ने मुद्दा बनाया कि गरीब इलाज के लिए दर दर भटक रहे हैं और मुख्यमंत्री के आवास पर डॉक्टरों की चाकरी लगाई गई। मुख्यमंत्री ने अच्छा निर्णय लिया कि आदेश को वापस कर दिया, नहीं तो चुनाव के मौके पर यह बड़ा मुद्दा बनने वाला था। जो लोग नीतीश कुमार को करीब से जानते हैं वे सभी जानते हैं हैं कि सीएम अपनी छवि के प्रति नीतीश काफी सजग रहते हैं। जिस स्वास्थ्य विभाग के आइएएस अधिकारी ने सीएम आवास पर तामझाम के मौखिक आदेश दिए थे उनकी नियत पर भी शक नहीं किया जा सकता है। हो सकता है उन्होंने बाह वाही लेने के लिए आदेश दे दिया होगा। जाहिर है उसे भी नीतीश के किसी करीबी ने सलाह दी होगी। खैर, समय पर नीतीश ने मामले को संभाल लिया। आदेश वापस लेने का यह पहला मामला नहीं है। ज्ञात हो कि जब प्रवासी बिहारी भारी संख्या में बिहार आने लगे तो पुलिस की तरफ से एक चिट्ठी जारी की गई थी। उस चिट्ठी में कहा गया था कि प्रवासी मजदूरों के आने से बिहार की कानून व्यवस्था खराब होने की आशंका है। इस चिट्ठी पर भी नीतीश कुमार की भद्द पिटी। बाद में इस चिट्ठी को भी वापस ले लिया गया। महत्वपूर्ण है कि गलत चीज को वापस कराने में नीतीश देरी नहीं करते। एक और चिट्ठी पर काफी बवाल मचा था। वो चिट्ठी थी आरएसएस से संबंधित करीब 3 दर्जन संस्थानों की जांच कराने का आदेश दिया गया था। बाद में चिट्ठी जारी करने वाले पदाधिकारी पर कारवाई कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।