पटना (विद्रोही/ द न्यूज़)। आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। 1826 को सबसे पहला हिंदी समाचारपत्र उदंत मार्तण्ड का प्रकाशन 30 मई से शुरू हुआ था। पत्रकारों की चौतरफा छटनी चल रही है। कई दिग्गज पत्रकार नौकरी से निकाल दिए गए हैं। वे सड़कों पर हैं। सबकी समस्याओं को उजागर करने वाला पत्रकार आज अपनी बदहाली पर खुद आंसू बहा रहा है और कोई उसके आंसू पोछनेवाला नहीं। पत्रकारों की समस्या उठानेवाला कोई नहीं। प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, उद्योगपति सभी उसके मित्र रहे हैं पर पत्रकार बदहाल हैं। सभी हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुभकामना भी दे रहे हैं। अखबारों में यह संदेश छपेगा भी। कोरोनाकाल में लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ की ऐसी दुर्दशा होगी कोई सोच नहीं सकता है। सरकार ने पत्रकारों को कोरोना वारियर्स का दर्जा दिया। उसपर फूल बरसाए पर जब उसकी नौकरी जा रही है तो चूं तक नही कर रहा। ये कैसा लोकतंत्र है।सबकुछ गुब्बारे की तरह है मोदी जी। फूटेगा एक दिन। जो पत्रकार सर्विस में हैं उनकी भी भी बारी आनेवाली है। पगार आधा हो हो चुका है। पत्रकार अंदर ही अंदर कराह रहे हैं पर अपनी आवाज नहीं उठा रहे । पत्रकारों के साथ यही बेबसी है। पूरा जीवन दूसरों के लिए समर्पित। सुप्रीम कोर्ट के जज भी जब मुसीबत में पड़े थे तो पत्रकारों के पास फरियाद लेकर आये थे। पत्रकारों ने उनकी आवाज दुनिया के सामने रखी पर पत्रकारों की कौन सुनेगा। सूत्र बताते हैं कि हिंदुस्तान टाइम्स में जमकर छटनी हुई है। रांची में टेलीग्राफ बंद हो चुका। पटना में पहले ही ताला लग गया था। टाइम्स ग्रुप में भी छटनी हुई है। पटना के दैनिक भास्कर से कइयों को रास्ता दिखा दिया गया है। कई जगह पगार बंद कर स्वतः मरने के लिए छोड़ दिया गया है। नाम तो इतने हैं कि यहां लिखा नहीं जा सकता। देश के धन्ना सेठ नोटों की गद्दी पर बैठ गए हैं। ये बाते बड़े अखबार नहीं छाप सकते क्योंकि जो छापेगा वो भी जाएगा। ऐसे में न्यूज़ पोर्टल ही सच्चाई को सामने रखेगा। मीडिया घरानों ने 10-20 साल तक मुनाफे कमाएं और उन्हें अपने कर्मचारियों को अपने मुनाफे से 2 फीसदी भी देना मुनासिब नहीं लग रहा है। ये शोषण नहीं तो क्या है। आप अंग्रेजों से भी बदतर हो, इंडियन मीडिया मालिक। धैर्य रखिये मित्रों। आवाज बनिये । thenews4views@gmail.com पर अपनी राय दे सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने कुछ इस तरह हिंदी पत्रकारिता दिवस पर शुभकामनाएं दी है, आज के ही दिन साल 1826 में शुरू हुआ था हिंदी के प्रथम समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ का सफर। जिसने आगे चलकर भारतीय पत्रकारिता की नींव रखीं।
आज हिंदी पत्रकारिता के सफर को 193 साल पूरे हो गए है।
1826 से लेकर 2020 तक देश सेवा के लिए हर पल तत्पर रहने वाले सभी पत्रकार बंधुओं को ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।देश के समक्ष बिना किसी भेदभाव निष्पक्षता से हर खबर रखने के लिए हम आपका धन्यवाद देते है।