भ्रष्टाचारियों पर समाज को भड़काने का भी केस चले। आखिर सिसोदिया, लालू व तेजस्वी पर क्यों न हो कारवाई !

पटना। द न्यूज़। देश में एक ट्रेंड बनता जा रहा है। जब भी भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्री व नेता पर कारवाई होती है तो संविचारक भ्रष्टाचारी नेता विलाप करने लगते हैं । अपने को ईमानदारी का चोंगा पहने वाली आप पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को जब शराब घोटाले में तिहाड़ जेल भेजा गया तो 9 विपक्षी दलों के नेताओं ने पीएम को पत्र लिखकर आपत्ति जताई कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग हो रहा है। याद करें यही आप पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल ने सीएम बनने से पहले शपथ लिया था कि वह सरकारी मंहगी कार व आवास का उपयोग नहीं करेंगे किन्तु अब उनकी ठाट बाट देखिये। जनता को झूठ बोलकर येन प्रकारेन सत्ता हासिल करना नेताओं की नियति बन गयी है। ऐसे में जब नेता भ्रष्ट हो जाएंगे तो उन्हें जेल कौन भेजेगा। क्या यह काम लालू यादव कभी कर सकते हैं। क्या तेजस्वी से ऐसी उम्मीद की जा सकती है। लालू परिवार की भी यही स्थिति है। लालू के करीबी जानते हैं कि सत्ता में आने के पहले लालू की क्या स्थिति थी। सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे और जैसे ही मुख्यमंत्री बने पैसा बहने लगा। बिहार व बिहारियों का दोहन शुरु हो गया। गरीबों की राजनीति करने वाले लालू पर गरीबों की जमीन लेकर नौकरी देने का केस चस्पा। बिहार के पिछड़ेपन दूर करने के बजाय जातीय राजनीति सेकने का दाव चल पड़ा। चारा घोटाला, जमीन के बदले नौकरी देने का घोटाला, IRCTC घोटाला। बिहार पिछड़ा होता गया और लालू परिवार दिन पर दिन अमीर होता गया। ऐसे में भ्रष्टाचार के लिए लालू परिवार पर क्यों कारवाई न हो। जब भ्रष्टाचारी नेता कानून के शिकंजे में आ रहे हैं तो जनता को भड़काने का काम कर रहे हैं। मकसद उनके वोट बैंक में भरोसा बने रहे कि मोदी सरकार बदले की कारवाई कर रही है। लालू की तरफ से ट्वीट किया जा रहा है। राजनीति का यह अलग रंग है

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि ईमानदार की रही है। उनपर परिवारवाद का भी आरोप नहीं लगा है।लेकिन वह दुविधा में जान पड़ते हैं। लेकिन प्रबुद्ध लोगों की राय में मौजूदा स्थिति बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है जहां कोई भी राजनीतिक अस्थिरता बिहार को और पीछे ही ले जाएगी। बिहार के हित में कोई मध्यम मार्ग की दरकार है।