मांझी की भी सुनिए। एनडीए में रहते ललकार दिया ‘राम’ को। देश में सबको अपनी बात रखने का अधिकार

पटना। द न्यूज़। क्या सही है क्या गलत है यह इतिहास तय करेगा, किन्तु सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। यदि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी राम को नहीं मानते। उन्हें नहीं पूजते या राम को भगवान नहीं मानते तो देश का संविधान उन्हें राम राम जपने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। मांझी कई मायनों में गलत हो सकते हैं। विवादित बयान भी देते हैं पर यह भी देखिए कि एनडीए में रहते सीधी बात रख रहे हैं। आप राम को मानते हैं। पूजते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आप जबरदस्ती किसी के मुंह से राम कहने के लिए बाध्य करें ।

जीतनराम मांझी

ये बिहार के लोगों में शक्ति है कि बिना भय बेबाक बात कह दे। जीतन राम मांझी ने खुलेआम राम के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा किया है। अब आपको राम बनकर मांझी का दिल जितना है न कि उनके खिलाफ फतवा जारी करना है। एक बार मांझी ने ब्राह्मण जाति के खिलाफ बयान दिया था पर बाद में गलती भी स्वीकार की। दही चूड़ा भोज का आयोजन कर प्रायश्चित भी किया।