
File photo Nitish Kumar
पटना। द न्यूज़। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज बांका दौरे के दौरान उपेंद्र कुशवाहा पर चुप्पी तोड़ी। नीतीश के इस बयान के बाद जदयू में दो फाड़ तय है। सीएम ने जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा अलग से बैठक बुलाये जाने के सवाल पर कहा कि इन सब चीजों पर ध्यान नहीं देने की जरुरत है आपलोग जब इस संबंध में पूछ रहे हैं तो हमको कहना पड़ेगा। आप ही लोग बताइये हमने उस आदमी को कितना आगे बढ़ाया। विधायक बनाया, फिर अपनी पार्टी का विधानसभा में लीडर भी बनाया, उसके बाद भी वे पार्टी छोड़कर भाग गये। फिर साथ आये तो हमने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बना दिया। उसके बाद वे फिर से पार्टी छोड़ कर चले गये। इस बार तीसरी बार वे पार्टी में आये तो कहे कि हम हर हाल में पार्टी में रहेंगे। आजकल वे क्या से क्या बोलने लगे हैं। सुबह में हम जब अखबार पढ़ते हैं तो इस तरह के न्यूज देखते हैं। इसका क्या मतलब है। वे पार्टी में क्यों आये? वे आये तो हमने उन्हें इज्जत दी। उन्होंने कहा कि वे हमसे बात करेंगे लेकिन उन्होंने मुझसे बात ही नहीं की। मेरे समझाने पर पार्टी के लोग उनको लेकर सहमत हो गये थे। हम उनको हमेशा इज्जत देते रहे हैं। उन्हें अब अचानक क्या हो गया है, मुझे पता नहीं। दो महीने के अंदर ही यह सब शुरु हुआ है। इसको लेकर वे अब रोज बोल रहे हैं। किसी और के इशारे पर वे बोल रहे हैं इसलिए उनका इतना प्रचार हो रहा है। हमारी पार्टी के कोई लोग बोलते हैं तो उसका उतना प्रचार नहीं होता है। उनकी जो इच्छा है वे करें। दो बार वे पहले भी पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। तीसरी बार हमने उन्हें एक्सेप्ट किया। यह सब भाजपा की तरफ से कराये जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आपको खुद यह सब पता चल जायेगा। सभी का इतना प्रचार नहीं होता है, जितना उनका प्रचार हो रहा है तो आपलोग तो समझ ही रहे हैं। जब किसी का प्रचार हो तो समझ जाइये कि कहां से प्रचार करवाया जा रहा है। कौन इसके लिए उन्हें मौका दे रहा है। हमलोगों की पार्टी के अध्यक्ष ने सभी बातों को कह दिया है। हमने भी सबों को कह दिया है कि किसी को कुछ बोलने की जरुरत नहीं है। उन्हें जो इच्छा हो वो बोलते रहें, हमे इससे कोई मतलब नहीं है। इस बार पिछली बार से ज्यादा लोग पार्टी के सदस्य बने हैं। हमलोगों के इधर आने के फैसले के वक्त सभी लोग एक साथ ही थे। अब उन्हें क्या हो गया है, मुझे पता नहीं। जो जाना चाहें उन्हें जाने दीजिए। इससे पार्टी को कुछ नहीं होने वाला है। इसको लेकर आपलोग चिंत मत कीजिए। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान हमलोगों की पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ अभियान चलाया गया जबकि हमलोगों ने उनकी पार्टी को पूरा सपोर्ट किया। अगर कोई पार्टी में आता है और फिर चला जाता है तो जाये, इससे हमलोगों को कोई मतलब नहीं है। पार्टी में रहियेगा और काम कीजिएगा तो ठीक है लेकिन अगर आप रोज खिलाफ में बोलियेगा तो इसका साफ मतलब है कि आपका कही और जाने का विचार हो गया है। छपरा के मुबारकपुर की घटना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन के लोग एक-एक चीज को देख रहे हैँ।मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि यहां पर चांदी से मछली बनाने के कारोबार से काफी लोग जुड़े हुए हैं। आप लोगों को पता होगा कि बहुत पहले वर्ष 2009 के बाद जब हम वर्ष 2010-11 में सभी जगहों का दौरा कर रहे थे तभी हमने देखा था कि कई जगहों पर लोग कई प्रकार के कार्यों से जुड़े हुए हैं। उसी समय हमलोगों ने तय किया कि सभी जगहों पर ऐसा काम होना चाहिए। आज यहां पर आने का मुझे मौका मिला है। यहां पर बहुत बढ़िया ढंग से सभी लोग काम कर रहे हैं। सभी लोगों की आमदनी काफी बढ़ी है। यहां पर तैयार की गई चांदी की मछली सभी जगहों पर भेजी जाती है। बिहार में जब कृषि रोड मैप पर काम शुरु किया गया था तो शुरु में ही हमने कह दिया था कि देश के सभी लोगों के घर पर कोई न कोई बिहार का चीज उपयोग करने को मिले। हमलोग शुरु से ही इसको लेकर काम कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज ‘समाधान यात्रा’ के क्रम में बांका जिले में विभिन्न विभागों के अंतर्गत चल रही विकास योजनाओं का जायजा लिया।यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री कटोरिया प्रखंड के मनिया गांव पहुंचे और वहां समेकित बाल विकास परियोजना केंद्र पर बच्चे-बच्चियों से बात कर वहां की व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने वहां उपस्थित मनिया ग्रामवासियों की समस्याएं सुनीं और अधिकारियों को समाधान के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने प्राथमिक विद्यालय मनिया का निरीक्षण किया और क्लास रूम में जाकर बच्चों की पढ़ाई की जानकारी ली। इस दौरान क्लास वन और टू के बच्चों ने उन्हें हंसते-खेलते पढ़ाई किये जाने के संबंध में जानकारी दी, जिससे मुख्यमंत्री बहुत प्रसन्न हुए और बच्चों को शाबाशी दी।
समाधान यात्रा शुरु करने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समाधान यात्रा नाम इसलिए दिया गया है कि कहीं कोई कमी हैं तो उसको दूर किया जाये। जहां भी हम जाते हैं तो लोग अपनी शिकायतें हमें सुनाते हैं। उनकी समस्याएं सुनने के बाद उसका समाधान कराया जाता है। यात्रा का दूसरा मकसद यह है कि सरकार द्वारा कराये जा रहे कार्यों को देखने के साथ ही उसे और बेहतर करने को लेकर बात होती है किये जा रहे कार्यों के अलावा भी अगर कोई काम करने की जरुरत है तो उसकी भी जानकारी यात्रा के दौरान मिल जाती है। कहीं पर अगर सड़क आदि की जरुरत है तो इन्हें देखना बहुत जरुरी है। सरकार द्वारा जो काम कराये गये हैं उसका फायदा लोगों को मिल रहा है कि नहीं, यह देखना भी जरुरी है। समाधान यात्रा का हमारा मकसद यही है।