पटना। द न्यूज़। प्रशांत किशोर को भले ही कोई नेता न माने पर उसने जो आग लगाई है उसमें दम तो है ही। पीके ने आज अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये सलीके से बिहार की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को धोया है। बिहार में 32 वर्ष शासन लालू व नीतीश ने किया है। आजादी मिलने के बाद ये 32 वर्ष कम नहीं होते हैं। वर्ष 1990 के बाद से 15 वर्ष लालू राबड़ी राज रहा और इसके बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री का पद संभाले हैं। किसी नए की इंट्री नहीं हुई। इन 32 वर्षों में प्रचुर मेधा के रहते बिहार पिछड़े राज्य के कोढ़ से बच नहीं पाया। बेरोजगारी चरम पर है। अब तो graduate खुलेआम चाय बेचने पर उतर आए हैं। जातिवाद व धर्म के नाम पर जनता 32 वर्ष वाले को वोट दे रही है। बाढ़ के समय केंद्र सरकार मुआवजे के नाम पर हर वर्ष 6 हजार डाल देती है। नीतीश कुमार स्कूल के बच्चों को मुफ्त पोषाक दे देते हैं। इस तरह बिहार की राजनीति चल रही है। बिहार में चोर इतने शातिर हो गए कि लोहे का पुल बेच दे रहे। चूहा बांध को काट दे रहा। लाखों लीटर शराब पी जा रहा है। इस बीच यदि कोई सच्चाई पर आएगा तो 32 वर्षों वाले पार्टियों के प्रवक्ता भौंकने लग जाते हैं। सही मायने में बिहारियों के साथ इंसाफ नहीं हो रहा है। जिस तरह सामाजिक सुरक्षा के लिए बने श्रम कानून खत्म कर दिए गए, आने वाले दिनों में सभी कर्मचारी बंधुआ मजदूर हो जाएंगे जिनकी कोई बात नहीं सुनेगा। पीके ने यह भी साफ कर दिया कि वह कोई बड़ा व्यक्ति नहीं हैं कि कोई नोटिस लेगा लेकिन वह जानता बीच जाएंगे। जनता ही उनके अगले कदम को तय करेगी। 2 अक्टूबर से पीके गांधी के सत्याग्रह स्थल चंपारण से पैदल यात्रा शुरू करेंगे।
राजनीतिक यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर, जन सुराज की परिकल्पना को लेकर बिहार के लोगों के बीच जाएंगे. 2 अक्टूबर को चंपारण के ऐतिहासिक गांधी आश्रम से प्रशांत किशोर 3 हजार किलोमीटर की पदयात्रा की शुरुआत करेंगे
प्रशांत किशोर ने सभी कयासों पर विराम लगाते हुए अपने अगले कदम की घोषणा की है. पटना में उन्होंने विस्तार से बताया कि वो अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले समान विचार के सभी लोगों से मिलेंगे. ऐसे लोगों से मिलकर वो बिहार की समस्याओं को समझने का प्रयास करेंगे और समाधान की एक रूपरेखा तैयार करेंगे. प्रेस वार्ता में उन्होंने ‘जन सुराज’ (जनता का सुशासन) की परिकल्पना पर बात की और कहा कि इसके माध्यम से बिहार की जनता सीधे तौर पर सकारात्मक बदलाव ला सकती है.चर्चा से समाधान
बिहार के विकास के लिए ‘नई सोच’ और ‘नया प्रयास’ की जरूरत पर जोर देते हुए प्रशांत अगले 100 दिनों में 17-18 हजार लोगों से सीधे संवाद करेंगे और ‘जन स्वराज’ की परिकल्पना के आधार पर बिहार विकास की मुख्यधारा में कैसे शामिल होगा इस पर विचार करेंगे. उन्होंने संकेत दिया कि अगर चर्चा में मुख्य तौर पर ये सामने आता है कि एक राजनीतिक दल बनाया जाए तो वो भी उसमें एक सदस्य के तौर पर जुड़ेंगे. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी बनती है तो वो बिहार के लोगों द्वारा, बिहार के लोगों के लिए, बिहार की पार्टी होगी.गांधी की कर्मभूमि से पदयात्रा
प्रशांत किशोर ने एक बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि वो 2 अक्टूबर, 2022 को चंपारण के ऐतिहासिक गांधी आश्रम से 3 हजार किलोमीटर की पदयात्रा पर निकलेंगे. ये वही जगह है जहां से महात्मा गांधी ने ‘सत्याग्रह’ की शुरुआत की थी और हर गांव-हर शहर तक अपने विचारों को पहुंचाया था. वो बिहार के बेटे हैं, इस बात को दोहराते हुए प्रशांत ने कहा, “मैं बिहार के लिए खुद को समर्पित करता हूं जो भी हो जाए मैं इससे पीछे नहीं हटूंगा.” श्री किशोर ने स्पष्ट किया कि उनका एक ही मकसद है, बिहार के लोगों के साथ एक गहरा संवाद स्थापित करना और 3 दशक से विकास के सभी पैमानों पर पिछड़ चुका बिहार कैसे सुशासन के रास्ते पर आगे बढ़ेगा, इसे समझना.