पटना। द न्यूज़। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के मंदिर का शिलान्यास हो गया है, किन्तु ये भी ये जानना चाहिए कि राम को इस धरती पर लाने में किसका योगदान है। किसके तेज, प्रताप व यज्ञ की बदौलत राम का जन्म हुआ। वाल्मीकि रामायण के अनुसार राम के जन्म व उनके संस्कार में ब्राह्मण श्रृंगी ऋषि का अहम योगदान है। राजा दशरथ को जब पुत्र नहीं हो रहा था तो वह मौजूदा बिहार के शेखपुरा स्थित श्रृंगी ऋषि के आश्रम पैदल आये थे। दशरथ के अनुनय विनय व काफी याचना के बाद श्रृंगी ऋषि उनकी पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किये। यज्ञ के खीर खाने के बाद दशरथ को राम, भारत, लक्ष्मण व शत्रुघन पुत्र प्राप्त हुए। ये सब संस्कृत में लिखित वाल्मीकि रामायण में उधृत है। तुलसीदास ने भी जिक्र किया है। इतना ही नहीं, श्रृंगी से दशरथ का पारिवारिक संबंध कायम हुआ। दाहरथ कि एक पुत्री थी, शांता। शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि से हुआ है। जब राम को आप याद करते हैं तो श्रृंगी को भी याद कीजिये। राजतंत्र में गुरुओं का नाम गौन हो गया। अर्जुन अर्जुन नहीं बनते यदि द्रोणाचार्य नहीं होते। भाजपा ने शेखपुरा के श्रृंगी ऋषि आश्रम को पर्यटक स्थल बनाने की मांग कर दी है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल ने श्रृंगी आश्रम के कायापलट की मांग उठाई है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता तथा सूर्यगढा के पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि दुनिया के करोड़ों लोगों के आस्था और विश्वास के प्रतीक,भारत की संस्कृति के घोतक भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किये जाने पर भगवान राम के जन्म से जुड़े लखीसराय सूर्यगढा के कजरा पहाड़ी पर स्थित श्रृंगी ऋषि आश्रम है, जंहा श्रृंगी ऋषि का निवास हुआ करता था, जिसकी चर्चा रामायण में भी है, को बन रहे रामायण सर्किट से जोड़ा जाय।
कहा जाता है कश्यप पुत्र ऋषि विभांडक के पुत्र थे, श्रृंगी ऋषि जो काफी विद्वान थे इन्होंने ही भगवान श्री राम के जन्म के लिए अश्वमेध यज्ञ तथा पुत्रेष्ठि कामना यज्ञ कराया था , जिससे भगवान राम का जन्म हुआ था। कभी अंग प्रदेश में अकाल पड़ा था, तब अंग के राजा रोमपाद के कहने पर श्रृंगी ऋषि को किसी प्रकार अंग लाया गया था, जिससे अंग में वर्षा हुई थी और अकाल समाप्त हुआ।
बगैर जानकारी के श्रृंगी ऋषि को अंग ले जाने के कारण ऋषि विभांडक नाराज थे, उनके क्रोध को शांत करने के लिए अंग के राजा रोमपाद ने दत्तक पुत्री शांता से श्रृंगी ऋषि का विवाह करवा दिया था, शांता असल में राजा दशरथ की पुत्री थी, राजा रोमपाद को जब कोई संतान नहीं होता था तो राजा दशरथ ने अपने मित्र रोमपाद को अपनी पुत्री को गोद दिया था।
कहा जाता है कि राजा दशरथ को जब कोई पुत्र नहीं हो रहे थे तब महर्षि वशिष्ठ के कहने पर नंगे पांव राजा दशरथ श्रृंगी ऋषि आश्रम आकर उन्हें ले गए थे, श्रृंगी ऋषि ने ही अश्वमेध यज्ञ तथा पुत्रेष्ठि कामना यज्ञ कराया था, जिस यज्ञ की अग्नि से उत्पन्न खीर के खाने से राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चारों भाइयों का जन्म हुआ था। बाद में चलकर राजा दशरथ स्वयं चारों भाइयों राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न को लेकर श्रृंगी ऋषि आश्रम आए थे और जहां उनका मुंडन संस्कार किया गया था,
उस श्रृंगी ऋषि आश्रम को तीर्थ स्थान घोषित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रामायण सर्किट से जोड़ा जाए। जिससे लोगों के आस्था और विश्वास के साथ श्री राम जन्मभूमि से बिहार का गहरा लगाव हो जाएगा, श्रृंगी ऋषि आश्रम सूर्यगढा कजरा के पहाड़ी क्षेत्र में काफी मनोरम स्थल पर स्थित है, जहां गर्म पानी का झरना है जंहा सालों भर जल प्रवाहित होता रहता है हजारों लोग वहां स्नान करने के लिये आते है, साथ हीं आश्रम में स्थित शिवलिंग दर्शन तथा पूजा कर लोग अपनी मनोकामनायों को प्राप्त करते हैं, अब भगवान श्री राम के जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ भगवान राम से जुड़े स्थानों को जोड़ने के लिये बन रहे रामायण सर्किट से श्रृंगी ऋषि आश्रम को भी जोड़ने से इसकी महत्ता पर विशेष बल मिलेगा। साथ हीं धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विकास के साथ राज्य में पर्यटन क्षेत्र का विकास होगा।