इस भ्रष्टतंत्र में लूट की लगी है हाट। राजनेताओं की ठाट! और बिचारी जनता खा रही लात!

पटना। द न्यूज़। (विद्रोही)। मौजूदा हालात में सबसे अधिक  राजनेता, पूंजीपति और दबंग लोग ही चांदी काट रहे हैं और सबसे अधिक मार आम जनता पर पड़ रही है। इस कोरोना के दौर में सबके रोजगार पर असर पड़ा। लाखों बेरोजगार हो गए पर चुने प्रतिनिधि नेताओं पर कोई असर नहीं पड़ा। पेंशन और वेतन उठाते रहे। हॉस्पीटल और दवा के कारोबारियों की खूब चांदी कटी और आम जनता इलाज कराते कराते लूट गयी। 

बिहार में समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी इसलिए इस्तीफा दे दिए कि उनके मन मुताबिक अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं हुआ। आज से नहीं अरसे से ट्रांसफर पोस्टिंग में करोड़ो का खेल चलता रहा है। जो अधिकारी लाखों खर्च कर मनचाहा पोस्टिंग लेते हैं वे अंत मे जनता को ही लूटते है। थानेदार झूठे केस में लोग को फंसाकर अपनी पोस्टिंग की एवज में खर्च रुपये को वसूल करता है। जब कोई अधिकारी लाखों खर्च कर पोस्टिंग पायेगा तो फिर वह नेता या मंत्री को कैसे सुनेगा। किसी भी डिस्ट्रीक्ट में डीएम की नियुक्ति स्थानीय एमपी या विधायक के सिफारिश पर होती है। ऐसी स्थिति में डीएम या एसपी अपने आका एमपी व विधायक की ही सुनते हैं चाहे जनता लाख शिकायत करती रहे। कोई अपवाद हो सकता है पर पूरे बिहार या हिंदी बेल्ट का यही हाल है। इसलिए चारों तरफ से जनता ही मार खा रही है।यूं कहें जनता पर एकतरफा मार पड़ रही है। भ्रष्टाचार की बात हो या महामारी फैलने की बात हो या किसी योजना का लाभ मिलने की बात हो या न्याय मिलने की बात हो। सभी मामले में आम जनता ही पिसी जा रही है। जिसके पास भ्रष्टाचार के अकूत धन है उसके लिए क्राइम खेल है। जेल आरामगाह है। बेल भी आसान है। अमूमन आम लोगों की जमीन दबंग कब्जा कर रहे हैं। रकम लेकर फ्लैट नहीं दे रहे हैं। बिल्डर करोड़ो का टैक्स चोरी कर रहे हैं। आखिर उनपर ईडी का छापा क्यों नहीं पड़ता। सभी थाना जानते हैं कि उनके क्षेत्र में कौन अपराधी है पर कोई करवाई नहीं होती। प्रदेश में शराबबंदी है पर पीने वालों को कोई दिक्कत नहीं।बिना पैरवी के थाना या सरकारी तंत्र एक डेग आगे नहीं बढ़ाते। आपकी शिकायत दर्ज नहीं होगी। बड़े अपराधी जघन्य अपराध कर बच रहे हैं। नौकरियां बिक जा रही है। आखिर ये गुलामी का दौर नहीं तो क्या है। देश कहां जा रहा है।