केंद्र का मंत्रिमंडल विस्तार बनेगा नीतीश और योगी सरकार के ताज का खाज

पटना। द न्यूज़। केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के आज कई मायने हैं और इसके कई फ़लाफ़ल निकलेंगे। यूपी चुनाव के ठीक पहले मंत्रिमंडल विस्तार किया गया है। उसी तरह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के ठीक पटना आने से पहले गरमाती बिहार की राजनीति को ठंडा करने की कोशिश की गई है। साथ ही फ्रांस में राफेल मसले की जांच हो रही है। तमाम मुद्दों के बीच मोदी सरकार ने मंत्रीमंडल का विस्तार कर राजनीतिक फिजा मनोकुल करने का प्रयास किया है। फिर भी कहीं खुशी कहीं गम दिखाई दे रहा है। जो मंत्री बन गए वहां खुशी ही खुशी है और जो मंत्री न बन पाए वहां गम का समुंद्र फैल गया। अब प्रधानमंत्री को इसी मंत्रिमंडल विस्तार से अगले 2024 का चुनाव पार करना है। लेकिन इसके पहले यूपी समेत पांच राज्यों के चुनाव भी देखना है।

बिहार को इस मंत्रिमंडल विस्तार से कुछ खुशी बयां करने वाली चीज नहीं मिली है। दो को मंत्री बनाया गया है पर चार मंत्रालयों का प्रभार लिए रविशंकर प्रसाद को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इस तरह बिहार से एक ही नेता की इंट्री कैबिनेट में हुई है। लगता है रविशंकर प्रसाद को ट्विटर से पंगा लेना मंहगा पड़ा है। ट्विटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। पारस को मंत्रालय देने का मतलब है खेल लंबा हुआ है। बिहार से भाजपा के सुशील कुमार मोदी व जदयू के ललन सिंह प्रबल दावेदार माने जा रहे थे किंतु दोनों को निराशा हांथ लगी। पिछली बार जदयू को दो मंत्री पद दिए जा रहे थे पर इस बार एक ही से संतुष्ट होना पड़ा। जाहिर है प्रदेश में विक्षुब्ध गतिविधियां बढ़ेगी। जब आरसीपी का दिल्ली में डेरा होगा तो आखिर संगठन कौन संभालेंगे। यह भी एक प्रश्न है। ऐसे में जदयू को संभालना मुश्किल होगा। वैसे ही पारस जब दिल्ली चले जायेंगे तो बिहार में उनके संगठन का क्या होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यदि सब अपने स्वार्थ को देखने लगेंगे तो बिहार के विकास का क्या होगा। बिहार की बदनसीबी यही है। मुसीबत में यहां अस्पतालों में बेड नहीं मिलता है। यूपी में अगले वर्ष फरवरी में चुनाव होना है। कुछ को मंत्री तो बना दिया पर जो मंत्री नहीं बने उन्हें टिस अवश्य होगी। इसका भड़ांस चुनाव में निकलेगा।