यदि सोच संजीदा हो तो हर किसी की जिंदगी खूबसूरत बन जाएगी। हर पत्थर देवता बन जायेगा। हर चित्र मोनालिसा बन जाएगी। जी, हां ऐसी ही सोच है विभूति में। उनके हांथ लगते ही तिनका-तिनका बोल उठता है। जमीन पर पड़े बेकार उदासीन चीजों में भी जान डाल देती हैं विभूति। मैं बात कर रहा हूं विभूति पांडेय की जो तुक्ष , बेकार व रद्दी चीजों को भी ऐसे सहेजती हैं कि दिल वाह वाह करने लगता है। वह बेकार जूतों को भी ऐसा आकार दे देती हैं कि वह आपके बाग का गुलदस्ता बन जाता है। गुलाब की तरह सुगंध देने लगता है। नारियल पेड़ का बेकार झार भी झरना का एहसास दिलाने लगता है।
आप तो नारियल का पानी पीकर फेंक देते हैं लेकिन विभूति उस बेकार हरे नारियल को भी इस तरह सजा देती हैं कि वह आपके घर का चिराग बन जाता है। सचमुच में उसके स्पर्श में जादू है। सही में उनकी कला विभूति है। विभूति पांडेय तिवारी उनका पूरा नाम है। विभूति ने कुछ बेकार चीजों में किस तरह जान डाले हैं उसकी कुछ तश्वीरें नीचे पेश है।