पटना। द न्यूज़। विद्रोही। आज के युग मे विधायक व चुने हुए प्रतिनिधि हत्या करके माननीय कहला रहे हैं जबकि भारत वर्ष की परंपरा है कि बुरे सोच वालों को सबक सिखाने के लिए बीच सड़क पर उसके पुतले जलाए जाते हैं। ब्राह्मण कुल के रावण व क्षत्रिय कुल की होलिका उदाहरण है। दरअसल भारत एक ऐसा देश है जहां अच्छाईयों के लिए फूल बरसाए जाते हैं और बुरे विचार वालों को आग लगाकर प्रतीकात्मक रूप से दहन कर दिया जाता है चाहे वह कितना ही विद्वान क्यों न हो। रावण जैसा विद्वान इस धरती पर नहीं हुआ। ये शास्त्र कहते हैं पर घमंड और अपने विचार के कारण रावण की गिनती दैत्य में कई जाती है। एक विद्वान होते हुए उसने सीता का अपहरण किया । उसके कुत्सित कृत्य के लिये दशहरा के अवसर पर उसका पुतला जलाया जाता है। उसी तरह हिरणकश्यप या हिरणकाह्यपु भी तपी था, किन्तु उसे इस बात की घमंड थी कि वह सबसे वीर व्यक्ति है। उसकी बात नहीं मानने पर वह कहर ढहाता था। वह हत्यारा था। यहां तक कि वह अपने पुत्र प्रह्लाद का शत्रु हो गया। प्रह्लाद ब्रह्मा का पुजारी था। चूंकि हिरणकाह्यपु कश्यप गोत्र का था इसलिए प्रह्लाद भी कश्यप गोत्र का हुआ। कश्यप अधिकतर क्षत्रिय का गोत्र होता । राम व लक्ष्मण का गोत्र भी कश्यप ही था इस तरह होलिका का गोत्र भी कश्यप हुआ। होलिका हिरणकाह्यपु की बहन थी। हिरणकाह्यपु ने ही होलिका को प्रह्लाद को मारने के लिए कहा था। होलिका को वरदान था कि उसे कोई जला नहीं सकता है। अपने भाई के आदेश पर होलिका अपने गोद मे प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी। उसी वक्त इस कार्य का पता ब्रह्मा को चल गया और उन्होंने होलिका की शक्ति छीन ली। आग में होलिका जल गई और ब्रह्मा की शक्ति से प्रह्लाद बच गए। बुरे विचार के कारण एक तरफ ब्राह्मण होते हुए रावण अपराधी है तो दूसरी तरफ क्षत्रीय कुल की होलिका ने अधर्मी का काम किया। एक बालक को जिंदा जलाने का प्रयास किया। इस आसुरी प्रवृति के कारण होलिका को जलाने की परंपरा है।