पटना। द न्यूज़। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अगले होली के पहले महागठबंधन के नया स्वरूप सामने आ सकता है। नीतीश एलान कर चुके हैं कि तेजस्वी को आगे बढ़ाना है। ऐसे में नीतीश की जाति के नेताओं मसलन कुर्मी समाज की क्या भूमिका होगी इसे लेकर अंदर ही अंदर चर्चा शुरू हो गयी है। नीतीश के सीएम होने के कारण कुर्मी, कुशवाहा या धानुक का झुकाव उनके प्रति बना हुआ है पर सत्ता के नए समीकरण में कुर्मी, कुशवाहा या धानुक सभी अपनी नई जमीन तलाश कर रहे हैं। नीतीश कद के आगे किसी भी दल में कुर्मी नेता आगे नहीं बढ़ पाए। लेकिन तेजस्वी को लेकर नीतीश के ताजा बयान से कुर्मियों में नीतीश के विकल्प की भी खोज शुरू हो गयी है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव परिणाम में भाजपा में करीब 50 सदस्य कुर्मी, कुशवाहा व धानुक थे। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में टिकट से कई सशक्त कुर्मी नेताओं को वंचित कर दिया गया। लिहाजा मात्र 2 कुर्मी ही भाजपा से जीत पाए। भाजपा के एक नेता का कहना है कि कई पुराने कुर्मी नेताओं को छोड़ पार्टी ने बाहर से मंटू सिंह को टिकट दिया। प्रदेश में करीब 6 प्रतिशत कुर्मी व धानुक हैं । 7 प्रतिशत से कुछ अधिक राजपूत व भूमिहारों की संख्या है। कुर्मी नेताओं का कहना है कि हमारी संख्या को नजरअंदाज कर भूमिहार व राजपूत समाज को चौगुना टिकट दे दिए जाते हैं। अलबत्ता भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों में यह धारणा बन गयी कि कुर्मी को टिकट देने से कोई फायदा नहीं क्योंकि कुर्मियों का सारा वोट तो नीतीश बंटोर ले जाएंगे। 17 वर्षों से यही होता आ रहा है जबसे नीतीश बिहार में मुख्यमंत्री का ताज पहने हैं। ऐसे में भाजपा समेत सभी दलों में कुर्मी नेता हासिये पर रखे गए हैं। बिहार भाजपा में कई कुर्मी नेता हासिये पर हैं। संगठन में कुछ गैर महत्वपूर्ण पदों का लॉलीपॉप थमा दिया गया है पर विधानपरिषद या राज्यसभा में अन्य जातियों के नेता छाली काट रहे हैं। भाजपा में कुर्मी नेताओं को बयान जारी कर वोट बंटोरने की जिम्मेवारी दी गयी है। पार्टी के डिफेंडर का काम कर रहे हैं लेकिन इस पर भी इनकी टांग खिंचाईं जारी है।
राजनीतिक दलों खासकर भाजपा व जदयू ने भी चुनाओं में अपने दलों से कुर्मी नेताओं को आजमाया पर बाजी नीतीश को ही लगी। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नीतीश को टक्कर देने के लिए सारे कुर्मी व कुशवाहा नेताओं को आजमाया।यहां तक कि शकुनी चौधरी,प्रेम रंजन पटेल , राजीव रंजन समेत कई नेताओं को साथ लेकर हवा बनाया। जनता ने भी उत्साह दिखाया पर वोट नीतीश की पार्टी जदयू को दे दिया। इसके बाद वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में तो नीतीश भाजपा के साथ आकर कुर्मी व कुशवाहा के सब वोट बंटोर ले गए। इसका नतीजा यह हुआ कि भाजपा समेत अन्य पार्टी में कुर्मी नेताओं को हासिये पर रख दिया गया। हालांकि ये कुर्मी नेता अपनी पार्टी के साथ वफादारी से जुटे हैं। प्रेम रंजन पटेल हो या नालंदा के राजीव रंजन या सरोज रंजन पटेल सभी को संगठन में जिम्मेवारी दी गयी है पर चुनाव में इन्हें टिकट से वंचित कर दिया जाता है। सरोज रंजन पटेल को प्रदेश किसान मोर्चा के अध्यक्ष बनाया गया है जबकि राजीव रंजन को प्रदेश उपाध्यक्ष व मीडिया का हेड बनाया गया है। प्रेम रंजन पटेल को प्रदेश प्रवक्ता पद दिया गया है। राजीव रंजन व प्रेम रंजन दोनों विधायक रह चुके हैं। राजीव रंजन तो एक समय जदयू में रहते नीतीश के खास हुआ करते थे। बिजली विभाग के ऊंचे ओहदे छोड़कर नीतीश का साथ देने आए थे पर परिस्थितियों के कारण वे जदयू छोड़ भाजपा का गले लगाने के लिए मजबूर हुए। प्रदेश भाजपा की तरफ से विरोधी दलों के खिलाफ मोर्चा संभालने में सुशील मोदी, संजय जायसवाल व तीसरे राजीव रंजन की अहम भूमिका है। ये तिकड़ी ही नीतीश को करारा जवाब दे रही है। इधर भाजपा में शामिल कुर्मी नेताओं को नई आशा जगी है। उनका कहना है कि जबसे नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को आगे करने की बात कही है तबसे जदयू में शामिल कुर्मी व कुशवाहा नेताओं में घोर निराशा फैली है। अब ये सभी नेता नीतीश के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। नीतीश के नये कदम से भाजपा में कुर्मी व कुशवाहा नेताओं के आगमन के साथ अधिक पूछ बढ़ जाएगी। हालिया गोपालगंज व मोकामा विधानसभा उपचुनाव में कुर्मी जनाधार ने भाजपा का साथ देना शुरू कर दिया है और जैसे ही नीतीश अपना खड़ाऊं तेजस्वी के लिए रखेंगे सारे कुर्मी कुशवाहा भाजपा में चले आयेंगें। कुर्मी नेताओं का कहना है कि कोई भी कुर्मी या कुशवाहा नेता नीतीश के कारण उनके साथ है, किंतु जैसे ही नीतीश सत्ता का लगाम तेजस्वी को सौंपेंगे सभी कुर्मी व कुशवाहा नेता भाजपा में आ जाएंगे। भाजपा में शामिल कुर्मी नेताओं का कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं को नीतीश का विकल्प तैयार करना चाहिए। प्रदेश में करीब 80 लाख से एक करोड़ तक कुर्मी की संख्या बताई जाती है। समझा जाता है कि नीतीश के अगले कदम के बाद आरसीपी सिंह समेत कुर्मी नेताओं का महागठजोड़ तैयार होगा और ये सभी भाजपा नीत एनडीए के साथ दे सकते हैं। आरसीपी की नई भूमिका महत्वपूर्ण होगी।