नशे के व्यापारी आतंकवादियों से खतरनाक:आरके सिन्हा

नशे के व्यापारी आतंकवादियों से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं, उन्हें फांसी पर लटकाना चाहिए- आरके सिन्हा

–सरकार सुनिश्चित करे कि बच्चों को मादक पदार्थ बेचने वालों को कठोरतम दंड दिया जाए।

नई दिल्ली/पटना ( द न्यूज़)। राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने आज सदन में एक बेहद संवेदनशील मुद्दा उठाया, जो देश के भविष्य को प्रभावित करता है। संसद में आज ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (कॉलिंग अटेँशन) के दौरान सांसद सिन्हा ने बच्चों में नशे और मादक द्रव्यों के सेवन के बढ़ते मामलों का मुद्दा उठाया।

इस मुद्दे पर

श्री सिन्हा ने कहा, “मैं नशे के व्यापारियों, उनका साथ देने वालों और इस पाप के हिस्सेदार हर उस व्यक्ति के लिए मृत्यु दंड की मांग करता हूँ, जो स्कूली बच्चों को नशे की दलदल में धकेलने के साथ साथ मासूमों का जीवन बर्बाद कर रहे हैं, समाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं और देश के भविष्य से खिलबाड़ कर रहे हैं।

एक प्रमुख समाचार में प्रकाशित पूर्वी दिल्ली नगर निगम और जनस्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्षों का हवाला देते हुए सांसद ने कहा “हाल ही में किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्ष से साफ पता चलता है कि – पूर्वी दिल्ली में नगर पालिका के स्कूलों में पढ़ने वाले 8 से 11 वर्ष की आयु के छह छात्रों में से एक छात्र शराब और तंबाकू से लेकर नशे का इंजेक्शन लेने का आदी पाया गया है। रिपोर्ट में पाया गया कि 368 स्कूलों में पढ़ने वाले 75,037 छात्रों में से 12,627 या करीब 16.8% छात्र नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। इनमें से 8,182 छात्रों को सूखी अफीम के गोले के साथ मिक्स सुपारी का इस्तेमाल करते हुए पाया गया, 2,613 छात्रों के तंबाकू लेने, 1,410 छात्र के बीड़ी और सिगरेट पीने, 231 के शराब का सेवन करने और 191 छात्रों के तरल नशा जैसे पेट्रोल सूंघने, नशीले औद्योगिक उत्पाद चाटने, नशीली दवाइयां व इंजेक्शन के ज़रिए नशा करने का आदी पाया गया।

श्री सिन्हा ने कहा कि 2017 में दिल्ली एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला था कि करीब 24000 स्ट्रीट चिल्ड्रन्स ने किसी न किसी रूप में मादक द्रव्यों का सेवन किया । यदि बच्चों द्वारा मादक द्रव्यों के सेवन को लेकर गूगल पर एक सामान्य खोज की जाए तो इसके परिणाम पूरे देश के बच्चों में बढ़ते नशीले पदार्थों के चलन की समस्या को लेकर दर्जनों कहानियों और रिपोर्टों के रूप में सामने आते हैं।

एविल और मेफेन्टाइन जैसी डाक्टरों द्वारा लिखी दवाएं तो किसी भी कैमिस्ट की दुकान पर बच्चों को भी खुलेआम दे दी जाती हैं। एक विशेष तरह का माफिया ड्रग रैकेट है, जो बच्चों में मादक पदार्थों की लत डालने की मुहिम पर काम करता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि बच्चों को नशे की दलदल में धकेलने वाले ऐसे नशे के सौदागरों के लिए सरकार को कठोर दंड सुनिश्चित करना चाहिए।

भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए, भाजपा सांसद ने कहा कि हर राज्य द्वारा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देशित किया जाना चाहिए कि वे ऐसे ड्रग रैकेट्स का जड़ से सफाया करें और अपराधियों को कठोरतम सज़ा देकर सलाखों के पीछे करे। साथ ही नशे की लत से पीड़ित बच्चे या व्यक्ति को हर संभव मदद मुहैया करवाई जाए, ताकि वह राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपना जीवन जीने के लिए योग्य बन सके।

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