तो ‘गांधी’ में है कांग्रेस चलाने की चुम्बकीय शक्ति

विद्रोही

द न्यूज़ । ‘गांधी’ के बिना कांग्रेस अधूरी है। गांधी सर नेम के बिना कांग्रेस को खींचना बगैर इंजन के ट्रेन को खींचने समान है। कांग्रेस को चाहने वाली देश की जनता बगैर गांधी कांग्रेस को स्वीकार ही नहीं सकती। यही कारण है कि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष अब तक चुना नहीं जा रहा है।

सीताराम केसरी को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने देख लिया है। मौजूदा राजनीतिक हालात में नरेंद्र मोदी के मुकाबले कांग्रेस को बेड़ापार लगाने वाला नेता कोई दिखाई नहीं दे रहा है। ‘ गांधी’ है तो कांग्रेस में एकजुटता है। गांधी नाम हटते ही भितरघात की राजनीति जोर पकड़ लेगी।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार गयी। इसका ये मतलब नहीं है कि राहुल गांधी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। राहुल गांधी ने अपनी नेतृत्व क्षमता का बेहतर प्रदर्शन किया है। उनके चुनावी भाषणों से स्पष्ट था कि उनमें कॉन्फिडेंस आ गया है। राहुल ने चुनाव परिणाम आने तक भाजपा को डराए रखा। यदि सही में विश्लेषण किया जाए तो नमो के मुद्दे ने कांग्रेस को हराया है।

भाजपा तो चाहेगी कि उसके रास्ते से गांधी हट जाएं और अगला राह और आसान हो जाए। लिहाजा यह समय कांग्रेस को विवेक से विचार करने का है। देश को फिलहाल उस

ऊंट की तरह सशक्त विपक्ष की जरूरत है जो मौके पर मदमस्त सत्ता के हांथी की कान मरोर सके।

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