सहारा की भी सुनो! आखिर सेबी क्यों नहीं कर रहा निवेशकों को भुगतान। कोरोना संकट में भी एक भी कर्मचारी की छटनी नहीं

पटना ( द न्यूज़ ) । देश में किसी भी निजी सेक्टर से अधिक रोजगार देने वाली सहारा इंडिया कंपनी की माली स्थिति पर न तो सरकार का ध्यान है और न ही कोर्ट उसके मामले में सहानभूति पूर्वक विचार कर रही है। यस ओर नो कुछ भी फैसला हो ताकि भ्रम की स्थिति न बनी रहे। सहारा इंडिया परिवार ने कहा कि सहारा भी मौजूदा हालात का उतना ही शिकार है जितना उसके निवेशक । सेबी के पास सहारा के 25,000 करोड़ रुपए रखे हैं और विगत नौ वर्षों में सेबी ने निवेशकों को लगभग 125 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया है । यह न तो तर्कसंगत है और न ही न्यायोचित है । सेबी को निवेशकों के हित में कार्य करना चाहिए । सेबी या तो निवेशकों को भुगतान शुरू करे या उस धन को सहारा को वापस करे , ताकि हम अपने निवेशकों को भुगतान कर सकें । यह बात सहारा इंडिया परिवार द्वारा सोमवार को यहां जारी एक बयान में कही गई । बयान में कहा गया , ‘ यह विडम्बना ही है कि एक ओर जहां माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सहारा ने 25,000 करोड़ रुपए मय ब्याज सहारा – सेबी खाते में जमा करा दिए हैं और यह धन पिछले 9 वर्षों से सेबी के पास व्यर्थ पड़ा है , वहीं दूसरी ओर हम पर लगे प्रतिबंधों के कारण अपनी संपत्ति को बेचकर या गिरवी रखकर सहारा निवेशकों को सीधे भुगतान नहीं कर सकता । जब संपत्तियां प्रतिबंधित हों और उपलब्ध धन सहारा – सेबी खाते में जमा हो तो सहारा अपने निवेशकों को भुगतान करे तो कैसे करे ? जब सख्त बेड़ियां पड़ी हों तो कोई कैसे दौड़ सकता है ?

इन सबके बावजूद सहारा भुगतान तो कर रहा है किंतु भुगतान में विलम्ब हो रहा है । बयान में कहा गया कि सहारा अपने निवेशकों को पिछले 44 वर्षों से भली – भांति सेवाएं दे रहा है और अतीत में कभी भी कोई मुद्दा नहीं उठा है । बयान में कहा गया है कि सहारा और इसके निवेशक वर्तमान परिस्थिति के शिकार हैं , जहां एक ओर सहारा के 25,000 करोड़ रुपए सेबी ने निवेशकों के हित के नाम पर अपने पास व्यर्थ में रखे हुए हैं , वहीं दूसरी ओर सेबी ने मार्च , 2018 में घोषणा कर 2012 के आदेशानुसार 25,000 करोड़ रुपए की इस धनराशि से सेबी ने न तो निवेशकों को भुगतान किया है और न ही यह धनराशि सहारा को वापस की है । सेबी को यह समस्त धनराशि या तो सहारा को वापस कर देनी चाहिए , जिससे कि निवेशकों को भुगतान किया जा सके या सेबी द्वारा निवेशकों को अविलम्ब भुगतान शुरू कर देना चाहिए ताकि निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके ।