पटना (विद्रोही/द न्यूज़)। 13 जनवरी को खरमास हटते ही बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। 14 जनवरी को सभी दलों के नेता दही चूरा खाने के बाद एक दूसरे को चुनाव मैदान में उतरने के लिए ताल ठोक देंगें।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एलान कर दिया है कि जो भी योजना का काम होना है वह अगस्त 2020 तक होगा उसके बाद तो चुनाव की रणभेरी कभी भी बज सकती है। पिछले दिनों इंडियन रोड कांग्रेस के उद्घाटन समय ये बातें सामने आ गयी थी। समझा जाता है कि जिस तरह पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू व भाजपा के बीच फिफ्टी फिफ्टी सीटों का बंटवारा हुआ था उसी फार्मूले पर इस बार भी सीटों का बंटवारा होने की उम्मीद है। हालांकि विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या जदयू से कम है लेकिन सौदा फिफ्टी फिफ्टी का ही होने की उम्मीद है। तर्क है कि पिछले लोकसभा में जदयू के मात्र 2 ही सांसद थे पर उसके हिस्से में 17 सीटें हांथ आयी, जबकि भाजपा को 22 से नीचे 17 पर आना पड़ा। पूरे समझौते में लोजपा को खासा फायदा होता है। क्षेत्र व मैदान में भाजपा व जदयू के नेता मेहनत करते है और लोजपा के नेता दिल्ली में रहते हुए फसल काट लेते हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्षेत्र में जाकर जनता का मन टटोल रहे हैं। उधर सुशील मोदी और उनकी पार्टी के नेता जमीन पर जाकर मोर्चा संभाले हैं पर लोजपा के नेता दिल्ली से पार्टी संचालित कर रहे हैं। लेकिन फायदा तीनों को होगा।