पटना ( द न्यूज़)। पांच महीने पहले बिहार के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 40 में 39 सीटें। बिहार की जनता ने राष्ट्रवाद व मोदी की आंधी में भाजपा, जदयू व लोजपा उम्मीदवार को कंधे पर बैठाकर संसद पहुंचाया। और पांच महीने बाद हुए उपचुनाव में बिहार की जनता ने छह सीटों में चार सीटों पर एनडीए को तड़ीपार कर दिया। एनडीए की हार के कई कारण हैं पर महागठबंधन इस मुगालते में न रहे कि उसके कारण एनडीए के उम्मीदवार हारे हैं। दरौंदा और बेलहर में गलत उम्मीदवार चयन के कारण एनडीए दो सीटें खोई है। जलजमाव की समस्या का असर पूरे प्रदेश में पड़ा। सरकार की लाचारी दिखी। जनता बेचारी मार खाई ही मीडिया पर सताधारी दलों ने अपमान के डंडे बरसाए। सत्ता में बैठे कुछ नेताओं को लगा किई भाजपा व जदयू गठजोड़ से उन्हें जीत का वरदान मिल चुका है।
इस परिणाम के बाद बिहार में NDA का दंभ टूट गया। ये हार एनडीए केके लिये अवसर भी हो सकता है बशर्ते वह जनता का सम्मान करना सीख जाए। समस्तीपुर में सहानभूति की जीत हुई हुई है जबकी नाथनगर में ‘नाथ’ की कृपा कह सकते हैं। किशनगंज, बेलहर, दरौंदा व सिमरी बख्तियारपुर एनडीए को गवानी पाड़ी।