पटना ( विद्रोही/द न्यूज़)। प्रशांत किशोर (पीके) ने स्लोगन दिया था, क्यूं करें विचार ठीके हैं नीतीश कुमार। लेकिन अब पीके की नजर में नीतीश ठीक नहीं हैं। नागरिक संसोधन बिल पर नीतीश के ताजा स्टैंड से पीके नाराज हैं। नागरिक संसोधन बिल पर जदयू के समर्थन के बाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व नीतीश के चाणक्य ने बागी रुख अख्तियार कर लिया है। आज ही दोपहर बाद पीके की मुलाकात नीतीश कुमार से होगी। इस मुलाकात के बाद पीके आरपार की लड़ाई लड़ेंगे। सूत्र बताते हैं कि यदि नागरिक संसोधन विधेयक के खिलाफ नीतीश नही जाएंगे तो पीके कोई दूसरा रास्ता अख्तियार करेंगें। सूत्र बताते हैं कि पीके के बागी रुख अख्तियार करने की दिलचस्प कहानी है। हालिया लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी से सीटों की समझौते के लिए नीतीश कुमार ने नागरिक संसोधन बिल और एनआरसी के खिलाफ आवाज उठाने का स्टैंड लिया था। पीके सूत्रों की माने तो इस सिलसिले में नीतीश कुमार ने पीके और केसी त्यागी को दूत बनाकर गुवाहाटी भेजा था। नीतीश के इशारे पर पीके और केसी त्यागी ने नागरिक संसोधन और एनआरसी के खिलाफ हवा बनाई थी। साथ ही लोकसभा चुनाव के पहले पटना में आयोजित जदयू की एक अहम बैठक में एनआरसी का विरोध करने का निर्णय लिया गया था। पीके समर्थक का कहना है कि हम नीतीश को कंबल ओढक़र घी पीने नहीं देंगे। कार्यकर्ता धोखा खा रहे हैं।जब नीतीश को भाजपा से सीटों का समझौता हो गया तो वह नागरिक संसोधन विधेयक और एनआरसी स्टैंड से पीछे हट गए। सूत्रों का कहना है कि यदि नीतीश को पीछे ही हटना था तो पीके और केसी को विरोध का आवाज बुलंद करने के लिए गुवाहाटी क्यों भेजा। लिहाजा जदयू में भी अंदर अंदर आग सुलग गयी है। लेकिन नीतीश समर्थक का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा बिहार हित मे फैसला लेते हैं। बिहार के समग्र विकास को ध्यान में रखकर ही नीतीश ने नागरिक संसोधन बिल का समर्थन करने का निर्णय लिया। जाहिर है नीतीश के इस स्टैंड से भाजपा जदयू के बीच एकजुटता बनी रहेगी। विरोधी दल मजबूत नहीं हो सकेंगे। अलबत्ता खुंदक में राजद ने नागरिक संसोधन बिल के खिलाफ 21 दिसंबर को बिहार बंद का आह्वान किया है।