सत्तापक्ष ने गाया बजट के सुनहरे गीत। विपक्ष ने जी भर के लताड़ा। रोजगार और सामाजिक सुरक्षा की बात नदारद

पटना। द न्यूज़। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केन्द्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि कोविड महामारी और राजस्व संग्रहण में दिक्कतों के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा संतुलित बजट पेश किया गया, यह स्वागत योग्य है। मैं एक संतुलित बजट प्रस्तुत करने के लिये केन्द्र सरकार को बधाई देता हूॅ।
आम बजट (वर्ष 2021-22) के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021-22 के लिये 34.8 लाख करोड़ रूपये का बजट पेश किया गया है, जो वर्ष 2020-21 के अनुमानित बजटीय खर्च 30.42 लाख करोड़ रूपये से अधिक है।उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में 41 प्रतिशत राशि राज्य सरकारों को दी जायेगी।

स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में 2 लाख 23 हजार करोड़ रूपये की व्यवस्था की गयी है जो गत वर्ष से 137 प्रतिशत अधिक है। साथ ही नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वर्ल्ड हेल्थ (National Institute of World Health) की स्थापना की जायेगी।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत एक करोड़ अतिरिक्त परिवारों को एल0पी0जी0 सिलेंडर देने का निर्णय लिया है जो स्वागत योग्य है। साथ ही गैस पाइपलाइन से 100 नये शहर जोड़े जायेंगे।उन्होंने कहा कि देश में वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क अगले तीन वर्षों में शुरू किये जाने की योजना है। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा साथ ही
निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। विकास वित्तीय संस्थान (Development Financial Institution) की
स्थापना की जायेगी और इसके लिये अलग से कानून लाया जायेगा।
उन्होंने कहा कि सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। वायु प्रदूषण रोकने के लिये राशि दी जायेगी। यह देश के पर्यावरण की रक्षा की दिशा में अच्छा कदम है।
उन्होंने कहा कि प्री-पेड स्मार्ट मीटर (Pre-Paid Smart Meter) लगाने का बिहार सरकार ने पहले ही निर्णय लिया था। केन्द्र सरकार ने भी इस काम को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया
है।
आधारभूत संरचना के विकास के लिये पूंजीगत व्यय के रूप में 5 लाख 50 हजार करोड़ रूपये खर्च करने का लक्ष्य है जो गत वर्ष की तुलना में अधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 75 साल से ऊपर वाले पेंशनर को आयकर रिटर्न (Income Tax Return) जमा करने से मुक्त किया गया है। यह अच्छा है

उधर भाकपा-माले के के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार के पहले बजट में खतरनाक रूप से नीचे गिर रही अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में कोई कोशिश नहीं की गई है. न ही इसमें नौकरियां खो चुके और आय व जीवनयापन के स्तर में भारी गिरावट से परेशान लोगों के लिए कोई तात्कालिक राहत दी गई है. उल्टे इसमें संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के बोझ को जनता के कंधों पर डाल बड़े काॅरपोरेटों के लिए अकूत सम्पत्ति जमा करने के और अवसर बना दिये गये हैं.अर्थव्यवस्था में सरकारी निवेश और खर्च बढ़ाने की सख्त जरूरत है लेकिन यह बजट थोक के भाव में विनिवेश और निजीकरण की दिशा में केन्द्रित है.रोजगार सृजन, आय में बढ़ोतरी और आम आदमी की क्रय शक्ति में इजाफा करने की दिशा में इस बजट को केन्द्रित होना चाहिये था लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया गया है.भारत के 100 सर्वाधिक धनी अरबपतियों की सम्पत्तियों में महामारी और लाॅकडाउन के दौरान भारी बढ़ोतरी हो गई (लगभग 13 लाख करोड़) ! लेकिन बजट इस सम्पत्ति को वैसे ही छोड़ दे रहा है, इस पर वैल्थ टैक्स या ट्रांजेक्शन टैक्स क्यों नहीं लगाया जा सकता था?राजस्व नीति में सुधार कर अति धनाडयों से राजस्व वसूली बढ़ाने और मध्य वर्ग को जीएसटी और आय कर में राहत देने की जगह बजट पहले की तरह ही अत्यधिक अमीरपरस्त राजस्व नीति पर चल रहा है.सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की किसानों की लम्बे समय से चली आ रही मांग को सरकार ने एक बार फिर खारिज कर दिया है. भारत के छोटे किसान और माइक्रोफाइनांस कम्पनियों के कर्ज तले लोग परेशान हैं. पूरे देश में छोटे कर्जदारों के कर्जे माफ करने की मांग लगातार उठ रही हैं, लेकिन बजट 2021 ने इस महत्वपूर्ण मांग को नहीं माना है.अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में यह बजट पूरी तरह से विफल है. अतः हम सरकार से मांग करते हैं कि इस बजट पर पूरे विस्तार में पुनर्विचार किया जाय.भारत की मेहनतकश जनता का हम इस बजट के विरोध में आवाज उठाने का आहवान करते हैं।

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