बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों को लेकर खींचतान। चिराग नई रोशनी के तलाश में

 द न्यूज़। ( विद्रोही)। NDA में खटास आ गयी है। बीजेपी और जेडीयू के बीच अंदर ही अंदर सीटों को लेकर जबरदस्त रस्साकसी चल रही है। सीटों की डिमांड को लेकर ही लोजपा वैराग्य में चले जाने की स्थिति में पहुंच गई है। बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव के तर्ज पर जदयू से फिफ्टी फिफ्टी सीट बंटवारा चाहती है जबकि जेडीयू बीजेपी से अधिक सीटों को लेकर अड़ा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि जेडीयू 123 सीटों की मांग कर रहा है। अपने इसी हिस्से से वह जीतनराम मांझी को बेड़ापार लगाएगा। इस बंटवारे पर तैयार होगी तो उसे और लोजपा के हिस्से मात्र 120 सीटें मिलेगी। विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। लोजपा पहले ही 41 सीटों के लिए जिद्द पर है। यदि 41 सिटें लोजपा को जाएगी तो बीजेपी के हिस्से मात्र 79 सीटें बचेगी। यह बंटवारा भाजपा को किसी कीमत पर मंजूर नहीं होगा। यदि बीजेपी 89 पर चुनाव लड़ेगी तो लोजपा को 31 सीटें मिलेगी। सूत्र बताते हैं कि भाजपा की तरफ से जदयू को फिफ्टी फिफ्टी यानी 102-102 सीटों का फार्मूला दिया गया है। शेष 39 सीटें लोजपा को मिलेगी। लेकिन अबतक किसी फॉर्मूले पर बात नहीं बनी है। जेडीयू वर्ष 2010 के फार्मूले की वकालत कर रहा है। उस समय बीजेपी 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, किन्तु उस समय लोजपा पार्टनर नहीं थी। अब लोजपा एनडीए की सहयोगी है। कुल मिलाकर सीट बंटवारा एनडीए दोस्ती में कांटा बना हुआ है।

बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने दो विरोधाभाषी बातें कहीं है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी अकेले चुनाव जीत सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि जेडीयू उसका पुराना दोस्त है। साथ नहीं छोड़ेंगे। विश्लेषक उनके बयान का अलग अलग अर्थ निकाल रहे हैं। इधर भाजपा के प्रदेज़ह अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि सीट बंटवारे तथा आरके सिंह के बयान मामले पर बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में तय होगा। यह तय होगा कि बीजेपी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

उधर बीजेपी और जेडीयू की सहयोगी लोजपा की उच्चस्तरीय बैठक 7 सितंबर को दिल्ली में बुलाई गई है। 7 को होनेवाली लोजपा संसदीय दल की बैठक में खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान मौजूद रहेंगे। इस बैठक में लोजपा तय करेगी कि वह एनडीए के साथ रहे या अलग रास्ता अपनाए। लोजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बैठक काफी अहम होगी।

लोजपा नेता की दलील है कि यदि हम चुनाव जीत भी जाएं तो मंत्री बनाने को लेकर नीतीश के आगे गिड़गिड़ाना पड़ेगा। अभी से नीतीश के खास लोग हमें भाव नहीं दे रहे। चिराग पासवान के संसदीय क्षेत्र से बिना सलाह लिए एसपी को बदल दिया। अब नौ छव होकर रहेगा।