पटना। द न्यूज़ ( विद्रोही)। बिहार में इस बार जोरदार मुकाबला हुआ है। । कोरोना काल का असर चुनाव पर दिखा है। महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने 10 लाख सरकारी नौकरी देने के वादे किए। इस वादे ने सत्तापक्ष में घबराहट ला दी। इसके बाद एनडीए के नेताओं ने राजद के 15 वर्षों के शासन को जंगलराज के रूप में जोरदार तरीके से उठाया। इस मुद्दे ने काफी हद तक एनडीए वोटबैंक के ध्रुवीकरण किया।
प्रदेश भर के लोगों के फीड बैक के आधार पर एनडीए यानी भाजपा, जदयू, हम और वीआईपी को संयुक्त रूप से पूर्ण बहुमत 125 सीटें मिलती दिख रही है। इसमें भाजपा को 72, जदयू को 59, हम को 3 और वीआईपी को एक सीट मिलने का अनुमान है। इसमें 15 सीटें आगे पीछे भी हो सकती है। सीटें कम होने पर निर्दलीय एनडीए का साथ देकर सत्ता की दहलीज तक पहुंचा सकते हैं।
उधर महागठबंधन में राजद को 83, कांग्रेस को 13 और संयुक्त वामदलों को 12 सीटों के साथ 108 सीटें मिलने का अनुमान है। यानी पूर्ण बहुमत से 14 सीटें कम। लेकिन अन्य दलों को भी 10 सीटें मिलने का अनुमान है। ये अन्य दल इस बार निर्णायक भूमिका निभाएंगे। एक यह भी आकलन है कि एनडीए और महागठबंधन को 15 अधिक या कम सीटें भी आ सकती है। ऐसे में तेजस्वी यादव के सिर जीत का सेहरा बंधना तय है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस को प्रारंभिक अनुमान 13 से दुगुना भी सीटें मिल सकती है।