होशियार जनता! सिद्धान्त व सेक्युलरिज्म की हवा निकली। गठजोड़ राजनीति पर तमाचा

पटना ( विद्रोही /द न्यूज़)। महाराष्ट्र का ताजा राजनीतिक घटनाक्रम देश के तमाम राजनीतिक दलों के लिए नया पैगाम है। साथ ही गठजोड़ की राजनीति पर तमाचा भी है। सच्चाई है कि महाराष्ट्र का पूरा प्रकरण देश की जनता के लिए सबक है। जनता को अब सोच समझकर कदम उठाने की जरूरत है। राजनीतिक दलों की विचारधारा तेल लेने चली गयी है। कुल मिलाकर मकसद अपने विरोधियों को नीचा दिखाना और सत्ताहासिल करना है।

सबसे महत्वपूर्ण बात है कि महाराष्ट्र प्रकरण से स्पष्ट हो गया है कि सिद्धान्त की बातें करना पूरी तरह बेमानी है। कांग्रेस जब हिंदूवादी संगठन शिवसेना को गले लगा सकती तो वो दिन दूर नहीं कि वह भाजपा को भी गले लगा ले। राजनीति में किसी संभावना को इनकार नहीं किया जा सकता है। हो सकता है भाजपा भी मुस्लिम लीग या ओबैसी जैसे नेता को आफर दे दे। सबकुछ संभव है।

महाराष्ट्र की ताजा राजनीति को देखकर कहा जा सकता है कि अब कोई भी दल किसी से हांथ मिला सकता है। गठजोड़ आप भले ही किसी दल से करें पर सरकार बनाते वक्त कोई गारंटी नहीं है कि वह दल आपके साथ रहेगा कि नहीं। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा। 20 वर्षों से दोनों की दोस्ती थी पर सीएम कुर्सी के कारण दोनों की दोस्ती टूट गयी। सिद्धान्त को चौराहे पर रखकर कांग्रेस ने शिवसेना को गले लगा लिया। देश मे एक अलग तरह की राजनीति की शुरुआत है। बिहार में भी इस तरह का उदाहरण देखने को मिला है। जदयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राजद के साथ चुनाव लड़ा। सरकार भी बनाई पर राजद परिवार की भ्रष्टाचार से बनाई अकूत संपत्ति उजागर हुई तो उन्होंने राजद से तौबा कर भाजपा संग सरकार बना ली। इसतरह देश मे राजनीति प्रबंधन का खेल हो गया है। गांधी, नेहरू,जेपी, लोहिया का सिद्धांत पनाह मांग रही है।

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