पटना। द न्यूज़।( विद्रोही )। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त को अयोध्या में राममनन्दिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर अपना वादा पूरा कर दिखाया। देश के चारो तरफ दिए जले। न्यूज़ चैनल व अखबारों में रामलला और पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीरें सुर्खियां बनी। दूसरी तरफ पिछले दो महीने से फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबरें चल रही है। लेकिन पिछले 10 दिनों में राजपूत की हत्या का मामला सभी खबरों पर लीड लिया है। तमाम न्यूज़ चैनल के सामने देश की सारी समस्याएं गौण हो गयी है। देश सुशांत की मौत की सच्चाई जानना चाहता है। उसी तरह राममनन्दिर भी आस्था का मामला है पर जनता की भूख कैसे मिटे, रोजगार कैसे मिले, शिक्षा कैसे पटरी पर आए, बाढ़ से कैसे निजात मिले, चीन को कैसे जवाब दे और नेपाल को कैसे संभाले जैसे तमाम मुद्दे गौण हो गए। डिबेट केवल सुशांत सिंह पर हो रहा है। कोरोना से रोजाना देश मे कितनी मौत हो रही है ये खबर रूटीन हो गयी है। जिन चैनल वालों को पूरा वेतन मिल रहा है वे देश का दर्द क्या जाने। श्रमिकों का दर्द क्या जाने। लाखों लोगों का रोजगार छीन गया। आत्महत्या का दौर चल रहा है। देश के कई इलाके में भीषण बाढ़ आई है। लीग मार रहे हैं। कितने पशु बाढ़ में बह गए जो रोजी रोटी के साधन थे। अस्पतालों की दुर्दशा है। घोर आर्थिक संकट सामने है। ऐसे में रामधुन और सुशांत की मौत की खबरें सारी समस्याओं पर हावी है।
एक दो पूंजीपति स्वयंभू चैनल के अलावा सभी न्यूज़ चैनल के रिपोर्टर की खस्ताहाल है। सबके वेतन में कटौती हुई है। कईयों को आधा वेतन मिल रहा है। कईयों को तीन चार महीने से वेतन नहीं मिला पर कुछ चुनिंदा चैनल देश को हाइजैक किये हुए हैं। देश की 90 फीसदी जनता कराह रही है पर कुछ लोग अपने को बेचकर देश के मुद्दा को डाइवर्ट कर रहे हैं।