पटना। द न्यूज़। ललित नारायण मिश्र इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक डेवलपमेंट एंड सोशल चेंज,पटना को अपनी जगह से हटाकर उस कैंपस को पटना उच्च न्यायालय को हस्तांतरित करने सम्बन्धी जनहित याचिका को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश के.विनोद चंद्रन व न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की दो सदस्यीय पीठ ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पटना उच्च न्यायालय को अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता से सम्बंधित मामला एक प्रशासनिक विषय है जिसमें आवश्यक होने पर राज्य सरकार से संवाद किया जाएगा। पीठ ने यह भी कहा कि इस तरह किसी शैक्षणिक संस्थान को अपनी जगह से हटाने का निर्णय नहीं दिया जा सकता।
इस पूरे मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखा। साथ ही इस जनहित याचिका में पूर्व मंत्री सह विधायक नीतीश मिश्रा ने भी इस याचिका में अपना पक्ष रखने हेतु interlocutory application (हस्तक्षेपक) दिया था। इनकी तरफ से भी कोर्ट में एफिडेविट जमा किया गया। याचिका पर आए न्यायालय के निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस संस्थान से पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.जगन्नाथ मिश्र की ढेरों स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। इस संस्थान में दो पूर्व राष्ट्रपति का भी आगमन हुआ है। इस संस्थान में श्रद्धेय ललित बाबू की जयंती का राजकीय समारोह भी आयोजित किया जाता रहा है। साथ ही यह संस्थान अपनी गरिमा के अनुकूल प्रदेश के शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। पूर्व मंत्री ने कहा कि इस संस्थान के एक-एक ईंट से उनके परिवार की भावनाएं जुड़ी हुई हैं साथ ही अनेकों छात्रों के भविष्य निर्माण में भी संस्थान का योगदान रहा है।
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ध्यातव्य है कि ललित नारायण मिश्र इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक डेवलपमेंट एंड सोशल चेंज,पटना पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.जगन्नाथ मिश्र द्वारा वर्ष 1973 में स्थापित किया गया था जो वर्तमान में बिहार सरकार के अधीन है और पटना उच्च न्यायालय के समीप है।
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